Holi Fesitval in Hindi Essay
होली पर विशेष निबन्ध
होली रंगो का त्योहार जो की हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध त्योहार है, जिसका इंतजार हर भारतीय को रहता है, जो की हिन्दी महीने के फागुन महीने मे मनाया जाता है, तो इस होली के अवसर पर इस पोस्ट के जरिये होली पर हिन्दी मे निबंध, Happy Holi Essay in Hindi, मेरा प्रिय त्योहार होली निबंध हिंदी, होली पर निबंध in Hindi, होली पर निबंध, होली पर निबंध प्रस्तावना, होली पर निबंध pdf, होली के बारे में 10 लाइन इन हिंदी, होली पर निबंध बच्चों के लिए 10 line, होली पर निबंध 250, 500 और 1000 से भी ज्यादा शब्दों में बताने जा रहे है, जिसे होली के शुभ अवसर पर लोगो के बीच शेयर कर सकते है, और होली के इस निबंध के जरिये लोगो को होली के बारे मे बता सकते है,
वैसे तो हमारे देश में हर त्यौहार मनाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक, ऐतिहासिक या पौराणिक महत्व जरुर रहता है जिन परम्पराओ का पालन हमारे देश में सदियों होता चला आ रहा है और इन परम्पराओ पर आधारित ये त्यौहार हमारे भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है जिन्हें हम बहुत ही जोश और पूरी उर्जा के साथ लोगो के साथ मिलकर अपने इन त्योहारो को मनाते है और इसी कड़ी में सबसे रंगबिरंगा रंगों का त्यौहार है होली | Holi….
सोचिये जरा अगर हमारे जीवन में रंग न हो तो ये धरती आकाश सम्पूर्ण नीरस और रंगहीन लगेगी, लोगो में जीवन तो होगा लेकिन बिना रंगों के ये धरती सुनी लगेगी न आकाश का रंग नीला होगा न ही धरती पर हरियाली की रंग हरा होंगा और न ही सूर्य में लाल रंग होगा और न ही दिन के उजाले में सूर्य की किरणों में चमकीला रंग होगा फिर भला इन रंगो के बिना सबकुछ फीका फीका लगेगा और इसी रंगो पर आधारित है हम सभी का सबसे प्यारा त्यौहार रंगों की होली जो की इस रंगों के त्यौहार में हर कोई रंगों में रंग जाता है तो लोगो में आपसी प्यार और सद्भावना का विकास होता है.
तो आप सभी को अच्छीएडवाइस डॉटकॉम की तरफ से होली | Holi की ढेर सारी रंगबिरंगी हार्दिक शुभकामनाये सबके जीवन में खुशियों का रंगबिरंगा बहार हो यही हम ईश्वर से कामना करते है,
तो आईये जानते है होली के इस सुबह अवसर पर रंगों के त्यौहार होली के बारे में और फिर खो जाते है रंगो में अपनी दुनिया को खुशनुमा और रंगीन बनाने में .
रंगों का पर्व होली पर विशेष निबन्ध
Rango Ka Tyohar Holi Essay In Hindi
होली का त्यौहार निबन्ध
Holi Festival in Hindi
होली – भारत देश में हिन्दू धर्म में होली हिन्दुओ का एक प्रमुख त्यौहार है जो की होली का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है और होली के दिन हर कोई रंगों में रंग जाता है जिसके नज़ारे देखने में वाकई अद्भुत और प्रसन्न करने वाला होली का दिन होता है होली का पर्व यानी हिंदी महीने फागुन महीने में पूर्णिमा को मनाया जाता है.
जो की बसंत ऋतू में यह त्यौहार पड़ने के कारण पूरा वातावरण सुंदर और हरियाली के रंगों से भर जाता है होली के त्यौहार की शुरुआत तो माँ सरस्वती के पूजा वाले दिन बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है बसंत पंचमी के ही दिन जगह जगह होलिका की स्थापना की जाती है जो की होली के ठीक एक दिन पहले होलिका का त्यौहार के रूप में होलिकादहन | Holika Dahan किया जाता है.
फिर इसके पश्चात अगले दिन सुबह से ही लोग एक दुसरे के उपर रंग गुलाल लगाते है और सभी लोग एक दुसरे से आपसी मतभेदों को भुलाकर इस दिन पूरे जोश के साथ रंगो का त्यौहार होली खेलते है चूकी भारत एक कृषी प्रधान देश है ऐसे में जब होली के समय पूरी धरती खेतो में गेहू की खेती की हरे रंग की हरियाली और सरसों की खेती से पूरा धरती सोने के समान पिला हो जाता है जो की धरती की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते है जिसे देखकर हर किसी का मन प्रफुल्लित हो जाता है और किसान अपने खेतो में लहराते हुए फसलो को देखकर फुले नही सरमाते है हर कोई फागुन के इस मस्त मौसम में मस्त हो जाता है.
होली मनाने की पौराणिक कहानी | होली क्यू मनाया जाता है
Holi Kyu Manaya Jata Hai Holi Ki Kahani
हमारे देश भारत में कई प्रकार के त्यौहार मनाये जाते है जिनमे हर त्यौहार मनाये जाने के ऐतिहासिक या पौराणिक कारण होते है ठीक उसी प्रकार होली मनाये जाने के पीछे भी एक पौराणिक कहानी है आईये होली के इस पौराणिक कहानी जानते है.
प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक प्रतापी असुर राजा था जिसने अपनी तपस्या से प्रसन्न करके सृष्टी रचयिता परमपिता ब्रह्मा से उसने यह वरदान प्राप्त किया था की उसे कोई भी नर पशु दांनव या ईश्वर नही मार सकते है जिसके बाद हिरण्यकशिपु खुद अपने आप को भगवान समझने लगा था और फिर इसके बाद वह लोगो पर अत्याचार करने लगा था,
उसके इस आतंक के डर से लोग भगवान का नाम छोड़कर हिरण्यकशिपु की पूजा करने लगे थे लेकिन खुद हिरण्यकशिपु के पुत्र भक्त प्रह्लाद | Bhakt Prahlad अपने पिता के जगह देवताओ के इष्ट भगवान विष्णु की पूजा करते थे जिससे यह बात जानकर हिरण्यकशिपु बहुत ही क्रोधित हुआ और प्रह्लाद को मारने के लिए अनेको उपाय किया फिर भी वह ईश्वर की भक्ति के कारण प्रह्लाद को मारने में विफल रहा,
और फिर प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ अग्नि में प्रवेश करने की आज्ञा दे दिया होलिका को यह वरदान प्राप्त था की वह कभी भी अग्नि में जल नही सकती है लेकिन जब वह प्रह्लाद के साथ अग्नि में प्रवेश की तो प्रह्लाद का ईश्वर की भक्ति के कारण प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और इसके विपरीत होलिका अग्नि में जलकर मर गयी जिस कारण ईश्वर की भक्ति के कारण अच्छाई की बुराई पर जीत हुई और फिर प्रह्लाद की इसी भक्ति के कारण तभी से हर साल होलिका मनाया जाने लगा जो की समाज में यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है,
इसके अतिरिक्त होली का पर्व द्वापरयुग में कृष्ण और राधा के बीच प्रेम को भी दर्शाता है भगवान् श्रीकृष्ण राधा के संग फूलो और रंगों की होली खेलते थे जिसकी याद साल होली बड़े ही प्रेम से भाररतीय जनमानस द्वारा मनाया जाता है और आज भी मथुरा के बरसाने की होली जगप्रसिद्द है,
होली कब और कैसे मनाया जाता है
Holi Kab Aur Kaise Manaya Jata Hai
होली हिन्दुओ का बहुत ही प्राचीन पर्व है इसकी शुरुआत कब से हुई है इसका कोई लिखित प्रमाण नही मिलता है लेकिन हिन्दू धर्म के सभी धर्मग्रंथो में होली मनाने का उल्लेख जरुर मिलता है.
वैसे तो होली का त्यौहार बसंत ऋतू के आगमन से ही शुरू हो जाता है होली का मुख्य त्यौहार दो दिनों मनाया जाता है पहले दिन जिसे होलिकादहन के नाम से जानते है होलिकादहन के लिए होलिका की स्थापना बसंत पंचमी के दिन ही की जाती है बंसत पंचमी के दिन लोग जगह जगह खाली स्थानों में होलिका का विधिवत पूजा पाठ करके होलिका की स्थापना की जाती है फिर होलिकादहन के लिए इस दिन से लोग लकड़िया इक्कठा करते है और प्राय यह भी देखा जाता है की किस गाव महल्ले में सबसे बड़ी होलिका बनाने में होड़ लगी रहती है.और फिर होली के ठीक एक दिन पहले लोग होलिकादहन की तैयारी करते है होलिकादहन के दिन सरसों पीसकर उबटन लगाने की की परम्परा है और फिर उबटन लगाने के पश्चात जो हमारे शरीर से उबटन छूटकर निकलता है उसे होलिकादहन में जलाया जाता है ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से हमारा शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है फिर फिर रात में लोग होलिका जलाने के लिए इक्कठा होते है फिर विधिवत पूजापाठ के बाद होलिका को जलाया जाता है और फिर मान्यताओ के अनुसार होलिकादहन के बाद लोग रात में खाना नही खाते है क्यूकी यह एक तरह से होलिका को जलाने की रस्मे है और हिन्दू धर्म में किसी का दाह संस्कार के बाद तुरंत भोजन नही किया जाता है सो सभी लोग होलिकादहन के पहले ही अपना भोजन कर लेते है.
और फिर होलिकादहन के पश्चात अगले दिन सुबह से ही होली के त्यौहार की शुरुआत हो जाती है होली के दिन सभी लोग आपसी मतभेदों को भुलाकर आपस में एक दुसरे को रंग लगाते है और फिर पूरे मस्ती के साथ पूरा दिन बिताते है हर कोई होली के रंग में इस कदर डूब जाता है की हर जगह बस होली की खुशिया ही देखने को मिलती है चारो तरफ रंगों की फुहार और रंगों के गुलाल से गली मुहल्ला रंगीन हो जाते है हर जगह होली के गानों का आयोजन किया जाता है,
गावो में तो लोग फागुन का एक से एक गाने गाते है जिसे सुनकर हँसी और मन में मस्ती का भाव आ जाता है बड़े भी बच्चे बन जाते है होली के त्यौहार को लेकर बच्चो में उत्साह देखने लायक होता है बच्चे तो चाहे कोई भी हो अगर उनके सामने से कोई भी गुजरता है तो रंग लगाना नही भूलते है.
और फिर होली का त्यौहार हो तो खाने पीने की बात न हो तो यह थोडा अधुरा ही लगता है होली के इस रंग भरे त्यौहार पर तरह तरह की मिठाईया बनाई जाती है जिनमे सबसे ज्यादा प्रसिद्द गुझिया होती है यह प्राय सभी घरो में बनायीं जाती है होली के त्यौहार पर लोग घरो में अनेक प्रकार के पापड़, पकवान और व्यंजन बनाते है और जो भी घर पर आता है हर सभी को बड़े ही प्यार से इन व्यजनो को खिलाया जाता है इस तरह होली का त्यौहार रंग के त्यौहार तो कहलाता ही है इसे लोग खुशियों और आपसी प्रेम और सौहार्द् का भी त्यौहार कहते है.
होली के त्यौहार पर सावधानिया
Holi Ke Tyohar Par Savdhaniya
जैसे जैसे हमारा समाज विकास की ओर बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे समाज में अनेको तरह की बुराईया भी जन्म ले रही है जिसका असर इन त्योहारों पर भी देखने को मिलता है होलिकादहन के त्यौहार से ऐसी मान्यता है की होलिकादहन से हमारे वातावरण में फैले अनेको प्रकार के कीटाणु अग्नि के ताप के प्रभाव से जलकर मर जाते है यह बात वैज्ञानिक दृष्टी पर भी खरी उतरती है लेकिन आजकल त्योहारों पर अंधाधुंध तरह तरह पटाखों के धुएं से कही न कही हमारा वायुमंडल भी दूषित हो जाता है जो की बहुत ही सोचनीय है.
इसके अतिरिक्त होली का त्यौहार प्रेम के रंगों का त्यौहार माना जाता है लेकिन चंद कुछ लोग इन त्योहारों पर तरह तरह के शराब मदिरा और अन्य प्रकार के नशा का भी सहारा लेते है जो की कही न कही रंगो के त्यौहार में खलल पैदा करते है और कुछ लोग चंद पैसे के लाभ की खातिर रंगों में तरह तरह के रसायनों का प्रयोग कर देते है जो की हमारे शरीर के त्वचा के लिए नुकसानदायक होता है,
इसलिए हम सभी का अपने त्योहारों की गरिमा बनाये रखने के लिए यह फर्ज बनता है की हम सभी ऐसे नशे से दूर रहे या जो लोग चंद ख़ुशी की खातिर नशे का सहारा लेते है उन्हें ऐसे करने से रोकने के लिए समझाए और अपने फायदों के लिए लोगो के स्वास्थ्य से लोग खिलवाड़ न करे हमे उन्हें रोकने के लिए भी कोशिश करनी चाहिए तभी हमारा ये प्यारा रंगों का त्यौहार हर किसी के जिन्दगी में खुशिया भर सकता है.
और अंत में आप सभी से यही कहना है –
आप सभी को होली पर दी गयी विशेष जानकरी कैसा लगा प्लीज हमे कमेंट बॉक्स में जरुर बताये और आप सभी को अच्छीएडवाइस की तरह से Happy Holi……….
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