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हिमा दास की प्रेरणादायक जीवन कहानी और जीवनी

Hima Das Jivani Biography In Hindi

सफलता के ट्रैक पर उड़नपरी हिमा दास का प्रेरणात्मक जीवनी

वो कहते है न जिन्दगी के इस रेस में जो जितना तेज दौड़ेगा निश्चित ही सफलता के बड़े बड़े ट्रैक उसके कदमो के नीचे होंगे, कुछ ऐसा ही अपना देश है भारत, यहाँ के लोग अगर ठान ले तो पूरे विश्व ने अपने सफलता का परचम जरुर लहराते है और अपने सफलता से पूरे देश का गौरव का मान बढ़ाते है तो आज सबसे चर्चित हस्ती बन गयी है हिमा दास, जी हा भारतीय रेसर Hima Das ने आईएएऍफ़ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 400 मीटर की दौड़ प्रतिस्पर्धा में पहला स्थान पर जीतकर इतिहास बना दिया है वे ऐसी पहली एथलीट बन गयी है जिन्होंने गोल्ड मेडल जीत लिया है

तो चलिए असम के एक छोटे से किसान परिवार से आने वाली हिमा दास आज हम सभी भारतीयों के लिए गर्व बन गयी है तो चलिए हिमा दास के जीवनी को जानते है जिनसे हम सभी अपने जीवन में आगे बढ़ने का प्रेरणा ले सकते है

गोल्डन गर्ल हिमा दास का जीवन परिचय

Golden Girl Hima Das Biography in Hindi

Hima Das

हिमा दास का जीवन परिचय
पूरा नाम (Full Name) :- हिमा रोंनजीत दास (Hima Das)
उपनाम (Nick Name) :- ढिंग एक्सप्रेस, मोन जय, गोल्डन गर्ल
जन्मतारीख (Date of Birth) :- 9 जनवरी 2000
जन्मस्थान (Birth Place) :- ढिंग, नगाँव, असम
माता का नाम (Mother Name) :- जोनाली दास
पिता का नाम (Father Name) :- रोनजीत दास
नागरिकता (Nationality) :- भारतीय
धर्म (Religion) :- हिदू
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) :- अविवाहित
कोच (Coach) :- निपोन दास
शौक (Hobbies) :- फ़ुटबाल खेलना, शूटिंग, फिल्मे देखना, गाना सुनना
प्रसिद्धि (Record) :- वर्ष 2018 आईएएएफ वर्ल्ड U-20 चैम्पियनशिप में उन्होंने 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीता और विश्व चैंपियनशिप में खिताब जीतने वाली वह पहली भारतीय ट्रैक एथलीट बनी,

हिमा दास का जीवनी 

Hima Das Biography in Hindi

हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को ढिंग, नगाँव, असम में हुआ था इनके पिता रोनजीत दास जो की किसान और इनकी माता जोनाली दास जो की एक गृहणी है इनका परिवार खेती के सहारे जीवन गुजर बसर करता है हिमा दास अपने 5 भाई बहनों में सबसे छोटी है

बचपन से कुछ अलग करने की चाहत रखने वाली हिमा दास हर लड़कियों से शुरू से ही अपनी पहचान अलग रखती है उन्हें बचपन से फ़ुटबाल खेलने का शौक है और यहाँ तक की अपने स्कूल में लडको के साथ मिलकर फ़ुटबाल खेला करती थी जिस कारण से इस खेल में अत्यधिक दौड़ लगाने से इनकी दौड़ने की स्टेमिना काफी बढ़ गया था जिस कारण से वे बहुत तेज रफ़्तार से दौड़ने लगी थी.

हिमा दास का जीवनी 

हिमा दास का जीवनी संक्षेप मे
हिमा दास, भारतीय ट्रैक और फ़ील्ड धावक हैं, जिन्हें “धावक दिवा” के रूप में जाना जाता है।
उनका जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के एक छोटे से गाँव धुलहापुखुरी में हुआ था।
हिमा ने अपने बचपन में अनेक कठिनाईयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी आत्मविश्वास नहीं खोया।
उन्होंने अपनी राजकीय करियर की शुरुआत में क्रिकेट में भाग लिया, लेकिन फिर धावक बनने का संकल्प लिया।
हिमा का असली दौड़ने का सफर 2016 में शुरू हुआ जब उन्होंने राष्ट्रीय धावकों में प्रतिस्पर्धा किया।
उन्होंने 2018 की कमनवेल्थ गेम्स में दो स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय धावक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
हिमा दास को “असम की तेज दौड़नेवाली” कहा जाता है, क्योंकि वह अपने फास्ट रनिंग क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
उन्होंने 2019 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई मेडल जीते, जिससे भारतीय खेल प्रेमियों का गर्व बढ़ा।
हिमा ने अपनी कठिन परिस्थितियों को परास्त करके एक अद्वितीय कहानी बनाई है।
उनकी जीवनी में कई संघर्ष और सफलताएं हैं, जो देशवासियों को उनसे प्रेरित करती हैं।
हिमा ने अपनी धावकीय क्षमता के बावजूद अपने शिक्षा को कभी भूला नहीं और अपने अध्ययन को भी महत्व दिया।
उन्होंने अपने समृद्ध प्रदर्शन से देश को गर्वित किया और खेल क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई।
हिमा ने अपने संघर्ष के दौरान अपने परिवार का साथ और समर्थन प्राप्त किया।
उनकी जीवनी विशेष रूप से छोटे गाँव से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक पहुंचने की अद्वितीय कहानी है।
हिमा ने अपने उच्च उत्कृष्टता के लिए पूरे भारत में प्रसिद्धता प्राप्त की है।
उनका जीवन एक अद्भुत उदाहरण है कि सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी संघर्ष को निभाना और निरंतर प्रयासरत रहना कितना महत्वपूर्ण है।
उनका जीवन एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो संघर्ष के बावजूद भी सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे।
हिमा दास ने भारतीय खेल को अपनी शक्ति, साहस और समर्पण के माध्यम से नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
उन्हें बाल पुरस्कार से लेकर अर्जुन पुरस्कार जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।
हिमा ने अपने करियर में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया है और उन्होंने बार-बार भारतीय ध्वज को ऊंचा किया है।

हिमा दास के रेसर बनने की कहानी

Hima Das As Racer Life in Hindi

चुकी बचपन से हिमा दास को खेलो के प्रति जबरदस्त झुकाव था, यहाँ तक की घर वालो के मना करने के बावजूद वे खेलो में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी जिसे देखकर लोग दंग रह जाते थे लेकिन हिमा दास इन सबकी बातो की परवाह किये बगैर वे कुछ अलग करना चाहती थी जिस कारण से अपने फिजिकल एजुकेशन के टीचर द्वारा उन्हें रेसर बनने का सलाह मिला जिसे हिमा दास ने रेसर में अपना कैरियर बनाना शुरू किया और फिर वे हर तरफ दौड़ प्रतिस्पर्धा में भाग लेने लगी थी और मिट्टी के ट्रैक पर ही दौड़ने का प्रैक्टिस करने लगी थी.

और फिर 2017 में उनकी मुलाकात उनके कोच निपोन दास अंतर जिलास्तर के प्रतिस्पर्धा के दौरान हुआ, इस प्रतिस्पर्धा में हिमा दास ने 100 और 200 मीटर के दौड़ में भाग लिया और इन दोनों प्रतिस्पर्धा में अव्वल रही जिसे देखकर हर कोई दंग रह गया था और सबसे अचरज की बात है इस प्रतिस्पर्धा को जीतने के लिए अपने सस्ते से जूते का उपयोग किया था

और फिर यही से निपोन दास ने हिमा दास का गुरु बनना स्वीकार किया और फिर ट्रेनिग देने के लिए गुवाहाटी ले गये जो की हिमा दास के घर से लगभग 150 किलोमीटर दूर था जिसको लेकर हिमा दास के घर वाले ले जाने को तैयार नही थे, बाद में हिमा दास और उनके कोच के समझाने पर उनके घर वाले तैयार हो गये फिर इसके बाद निपोन दास ने शुरू शुरू में 200 मीटर फिर स्टेमिना के बढने पर 400 मीटर दौड़ की ट्रेनिंग देने लगे और इस तरह हिमा दास अपने साहस और कुछ कर गुजरने की इच्छा के दम पर खुद को एक रेसर के रूप में स्थापित किया.

हिमा दास का बेहतरीन रेसर बनने का रिकॉर्ड

Hima Das Racer Record in Hindi

हिमा दास वर्ष 2018 आईएएएफ वर्ल्ड U-20 चैम्पियनशिप में उन्होंने 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीता और विश्व चैंपियनशिप में खिताब जीतने वाली वह पहली भारतीय ट्रैक एथलीट बनी और पूरे विश्व में भारत का मान बढाया.

हिमा दास से जुड़े सबसे ताजा न्यूज़ खबर

Hima Das Latest News in Hindi

और वर्तमान में हिमा दास का शानदार प्रदर्शन लगातार जारी है। उन्होंने 15 दिनों के भीतर चौथा स्वर्ण पदक जीत लिया है। हिमा दास अपना ही रेकॉर्ड तोड़ने में लगी हुई हैं। हिमा ने चेक गणराज्य में हुए टाबोर ऐथलेटिक्स टूर्नमेंट में 200 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण जीता। इसके बाद हिमा ने बुधवार को हुई रेस को 23.25 सेकेंड में पूरा करके गोल्ड मेडल जीत लिया है और अपने हमवतन वी.के विसमाया 23.43 सेकेंड का समय निकालते हुए दूसरे पायदान पर रहीं।

इससे पहले उन्होंने 2 जुलाई को पोलैंड में हुई पहली रेस को 23.65 सेकेंड में जीता था। इससे पहले हिमा ने क्लांदो मेमोरियल ऐथलेटिक्स प्रतियोगिता में शनिवार को तीसरा गोल्ड जीता था। और फिर 8 जुलाई को वह पोलैंड में हुए कुंटो ऐथलेटिक्स टूर्नमेंट में 200 मीटर रेस में स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुकी हैं। इस तरह भारत की उड़नपरी अपने ही बनाये हुए रिकॉर्ड को तोड़ते नित नये रिकॉर्ड स्थापित भी कर रही है जो की हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है

हम सभी भारतीयों का उन्हें दिल से सलाम और उनके जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेते हुए हम सभी अपने जीवन के ट्रैक पर अच्छे से दौड़ते हुए अपने जीवन को सफल बना सकते है.

तो आप सभी को सफलता के ट्रैक पर उड़नपरी हिमा दास का प्रेरणात्मक जीवन परिचय | Hima Das Jivan Parichay Biography in Hindi कैसा लगा कमेंट जरुर बताये और इस पोस्ट को जरुर शेयर करे.

हिमादास के बारे में और अधिक जानने के लिए विकिपीडिया पर पढ़े – हिमादास 

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