Billi Ki Kahani – बचपन में सभी को दादा – दादी, नाना – नानी, मम्मी – पापा और अपने से बड़ो से तरह तरह के किस्से कहानिया सुनने को मिलते थे या जो अभी छोटे है उनको ऐसी कहानिया जरुर सुनने को मिलती होगी जो की बहुत ही रोचक और मजेदार होती है, इन कहानियो में हमे जानवरों जैसे बिल्ली की भी कहानिया सुनने को मिलती है जो की काफी सीख देने वाली कहानिया होती है, तो चलिए आज हम आप Billi Ki Kahani बताने जा रहे है जो काफी मजेदार कहानिया है. तो चलिए बिल्ली की इन कहानियो को जानते है.
बिल्ली की कहानी Billi Ki Kahani
चिड़िया और धूर्त बिल्ली की कहानी
एक चिड़िया का परिवार पेड़ पर घोंसला बनाकर मजे से रहता था। एक दिन वह दाना पानी के चक्कर में अच्छी फसल वाले खेत में पहुंच गया। वहां खाने पीने की मौज से बड़ा ही खुश हुआ। उस खुशी में रात को वह घर आना भी भूल गया और उसके दिन मजे में वहीं बीतने लगे।
इधर शाम को एक खरगोश उस पेड़ के पास आया जहां चिड़िया का परिवार का घोंसला था। पेड़ जरा भी ऊंचा नहीं था। इसलिए खरगोश ने उस घोंसलें में झांक कर देखा तो पता चला कि यह घोंसला खाली पड़ा है। घोंसला अच्छा खासा बड़ा था इतना कि वह उसमें खरगोश आराम से रह सकता था। उसे यह बना बनाया घोंसला पसंद आ गया और उसने यहीं रहने का फैसला कर लिया।
कुछ दिनों बाद वह चिड़िया का परिवार खा-खा कर मोटा ताजा बन कर अपने घोंसलें की याद आने पर वापस लौटा। उसने देखा कि घोंसलें में खरगोश आराम से बैठा हुआ है। तो उन सभी को बड़ा गुस्सा आया, उसने खरगोश से कहा, ‘चोर कहीं के, मैं नहीं था तो मेरे घर में घुस गए हो? चलो निकलो मेरे घर से, जरा भी शरम नहीं आई मेरे घर में रहते हुए?’
बिल्ली की कहानी Billi Ki Kahani
खरगोश शान्ति से जवाब देने लगा, ‘कहां का तुम्हारा घर? कौन सा तुम्हारा घर? यह तो मेरा घर है। पागल हो गए हो तुम। अरे! कुआं, तालाब या पेड़ एक बार छोड़कर कोई जाता हैं तो अपना हक भी गवां देता हैं। यहां तो जब तक हम हैं, वह अपना घर है। बाद में तो उसमें कोई भी रह सकता है। अब यह घर मेरा है। बेकार में मुझे तंग मत करो।’
यह बात सुनकर चिड़िया का परिवार के सभी सदस्य कहने लगे, ‘ऐसे बहस करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। किसी धर्म पण्डित के पास चलते हैं। वह जिसके हक में फैसला सुनायेगा उसे घर मिल जाएगा।’
बिल्ली की कहानी Billi Ki Kahani
उस पेड़ के पास से एक नदी बहती थी। वहां पर एक बड़ी सी बिल्ली बैठी थी। वह कुछ धर्मपाठ करती नजर आ रही थी। वैसे तो यह बिल्ली इन दोनों की जन्मजात शत्रु है लेकिन वहां और कोई भी नहीं था इसलिए उन दोनों ने उसके पास जाना और उससे न्याय लेना ही उचित समझा। सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जा कर उन्होंने अपनी समस्या बताई।
उन्होंने कहा, ‘हमने अपनी उलझन तो बता दी, अब इसका हल क्या है? इसका जबाब आपसे सुनना चाहते हैं। जो भी सही होगा उसे वह घोंसला मिल जाएगा और जो झूठा होगा उसे आप खा लें।’ ‘अरे रे !! यह तुम कैसी बातें कर रहे हो, हिंसा जैसा पाप नहीं इस दुनिया में। दूसरों को मारने वाला खुद नरक में जाता है। मैं तुम्हें न्याय देने में तो मदद करूंगी लेकिन झूठे को खाने की बात है तो वह मुझसे नहीं हो पाएगा। मैं एक बात तुम लोगों को कानों में कहना चाहती हूं, जरा मेरे करीब आओ !!’
खरगोश और वह चिड़िया खुश हो गए कि अब फैसला हो कर रहेगा। और उसके बिलकुल करीब गए। फिर क्या? करीब आए खरगोश को पंजे में पकड़ कर मुंह से चिड़िया को बिल्ली ने नोंच लिया। दोनों का काम तमाम कर दिया। और इस तरह अपने शत्रु को पहचानते हुए भी उस पर विश्वास करने से खरगोश और चिड़े को अपनी जानें गवांनी पड़ीं।
कहानी से शिक्षा :- इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है चाहे परिस्थितिया कैसी भी हो, लेकिन भूलकर भी अपने अपने दुश्मन की बातो पर यकीन नही करना चाहिए,
बिल्ली की कहानी Billi Ki Kahani
बिल्ली और चालाक बन्दर की कहानी
Billi Aur Chalak Bandar ki Kahani
एक गाँव में दो बिल्लियाँ रहा करती थी। वह आपस में बहुत प्यार से रहती थी। उन्हें जो भी खाने में मिलता, हमेशा बाँट कर खाया करती थी। एक दिन उन्हें एक रोटी मिली। अब रोटी एक और बिल्ली दो। उन्होंने रोटी के दो टुकड़े तो कर लिए पर दोनों टुकड़े बराबर है की नहीं, इसका फैसला नहीं कर पाए। उन्हें एक टुकड़ा बड़ा और दूसरा टुकड़ा थोड़ा छोटा लगा।
जब दोनों बिल्लियाँ किसी समझौते पर नहीं पहुँच सकी तो उन्होंने किसी और से फैसला करवाने की सोची। जब वो फैसला करवाने के लिए किसी को ढूंढ़ रही थी तो उन्हें एक बन्दर मिला। उन्होंने बन्दर से ही फैसला करवाने की सोची। दोनों बिल्लिओं ने बन्दर के सामने अपनी समस्या रखी। सारी बात सुनने के बाद बन्दर एक तराजू ले आया और रोटी के दोनों टुकड़ों को अलग अलग पलड़े में रख दिया।
बिल्ली की कहानी Billi Ki Kahani
तौलते समय जो पलड़ा भारी होता, बन्दर उस में से थोड़ी सी रोटी तोड़ कर खा लेता। ऐसा करते करते बन्दर पूरी की पूरी रोटी खा गया और दोनों बिल्लियाँ एक दूसरे का मुंह देखती रह गयी।
कहानी से शिक्षा :- इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है की हमे आपसी मतभेदों को आपस में मिलजुल कर हल करना चाहिए, इसके अतिरिक्त हम अपनी समस्या को और के पास लेकर जायेगे तो निश्चित ही हम हमारी कमजोरी का फायदा उठायेगा, और आपस में फुट डालकर अपना फायदा उठायेगा.
बिल्ली की कहानी Billi Ki Kahani
चूहा और बिल्ली के गले की घंटी
Billi Ki Gale Ki Ghanti ki Kahani
एक बहुत बड़े घर में सैकड़ों चूहे रहते थे। वे चारों ओर उछल-कूद करते हुए अपना पेट आराम से भर लेते थे और फिर जब उन्हें खतरा दिखाई देता तो बिल में जाकर छिप जाते थे। एक दिन उस घर में न जाने कहाँ से एक बिल्ली आ गई। बिल्ली की नज़र जैसे ही चूहों पर पड़ी तो उसके मुँह में पानी आ गया। बिल्ली ने उन चूहों को खाने के विचार से उसी घर में अपना डेरा डाल दिया। बिल्ली को जब कभी भूख लगती तो वह अँधेरे स्थान में छिप जाती और जैसे ही चूहा बिल से बाहर आता तो उसे मारकर खा जाती। अब तो बिल्ली रोज चूहों का भोजन करने लगी। इस प्रकार वह कुछ ही दिनों में मोटी-ताजी हो गई।
बिल्ली की कहानी Billi Ki Kahani
बिल्ली के आ जाने से चूहे दुःखी हो गए। धीरे-धीरे चूहों की संख्या कम होती देख वे भयभीत हो गए। चूहों के मन में बिल्ली का डर बैठ गया। बिल्ली से बचने का कोई उपाय खोजने के लिए सभी चूहों ने मिलकर एक सभा का आयोजन किया। सभा में सभी चूहों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए, लेकिन कोई भी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास नहीं हो सका। सभी चूहों में निराशा फैल गई।
तब एक बूढ़ा चूहा अपने स्थान पर खड़ा होकर बोला “भाइयो सुनो, मैं तुम्हें एक सुझाव देता हूँ, जिस पर अमल करके हमारी समस्या का हल निकल सकता है। यदि हमें कहीं से एक घंटी और धागा मिल जाए तो हम घंटी को बिल्ली के गले में बाँध देंगे। जब बिल्ली चलेगी तो उसके गले में बँधी हुई घंटी भी बजने लगेगी। घंटी की आवाज़ हमारे लिए खतरे का संकेत होगी। हम घंटी की आवाज़ सुनते ही सावधान हो जाएँगे और अपने-अपने बिल में जाकर छिप जाएंगे।’
बूढ़े चूहे का यह सुझाव सुनकर सभी चूहे ख़ुशी से झूम उठे और अपनी ख़ुशी प्रकट करने के लिए वे नाचने-गाने लगे।
चूहों का विचार था कि अब उन्हें बिल्ली से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी और वे फिर से निडर होकर घूम सकेंगे।
तभी एक अनुभवी चूहे ने कहा “चुप रहो, तुम सब मुर्ख हो। तुम इस तरह तरह खुशियाँ मना रहे हो, जैसे तुमने कोई युद्ध जीत लिया हो। क्या तुमने सोचा है कि बिल्ली के गले में जब तक घंटी नहीं बंधेगी तब तक हमें बिल्ली से मुक्ति नहीं मिल सकती।’
बिल्ली की कहानी Billi Ki Kahani
अनुभवी चूहे की बात सुनकर सारे चूहे मुँह लटकाकर बैठ गए। उनके पास अनुभवी चूहे के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं था। तभी उन्हें बिल्ली के आने की आहट सुनाई दी और सारे चूहे डरकर अपने-अपने बिलों में घुस गए।
कहानी से शिक्षा :- इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है की हमे सिर्फ प्लान करने से कुछ नही होता है जबतक उसपर अमल नही किया जाय तो वह सिर्फ ख्याली पुलाव या दिन में सपने देखना जैसा हो सकता है.
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बहुत अच्छी कहानी है बहुत अच्छा लगा पढ़कर, Very nice. Motivational kahani