Chidiya Ki Kahani Bird Story In Hindi
चिड़िया की कहानी अपना काम स्वयं करे
जीवन में जब ऐसे कई मौके आते है जब हमे लगता है की हमे दुसरो पर निर्भर होने के बजाय अपने कार्य खुद से करना चाहिए, क्युकी हम दुसरो के भरोसे बैठे रहे तो क्या पता तय समय पर होने वाला हमारा कार्य ठीक उसी समय पर हो जाय, तो आज हम एक ऐसी एक चिड़िया की कहानी (Moral Story in Hindi) बताने जा रहे है जिस कहानी से हम यह सीख ले सकते है की हमे अपने जीवन में दुसरो पर निर्भर होने के बजाय अपना काम खुद से करना चाहिए.
किसान और चिड़िया की कहानी
Chidiya Ki Kahani Moral Story in Hindi
एक गाँव में एक किसान रहता था. उसका गाँव के बाहर एक छोटा सा खेत था. एक बार फसल बोने के कुछ दिनों बाद उसके खेत में चिड़िया ने घोंसला बना लिया.
कुछ समय बीता, तो चिड़िया ने वहाँ दो अंडे भी दे दिए. उन अंडों में से दो छोटे-छोटे बच्चे निकल आये. वे बड़े मज़े से उस खेत में अपना जीवन गुजारने लगे.
कुछ महीनों बाद फसल पक गया था और कटाई का समय आ गया. गाँव के सभी किसान अपने खेतों की फ़सल की कटाई में लग गए. अब चिड़िया और उसके बच्चों का वह खेत छोड़कर नए स्थान पर जाने का समय आ गया था.
एक दिन खेत में चिड़िया के बच्चों ने किसान को यह कहते सुना कि कल मैं फ़सल कटाई के लिए अपने पड़ोसी से पूछूंगा और उसे खेत में भेजूंगा. यह सुनकर चिड़िया के बच्चे सहम गये थे और किसान की बातो से सभी परेशान हो गए. उस समय चिड़िया कहीं गई हुई थी. जब वह वापस लौटी, तो बच्चों ने उसे किसान की बात बताते हुए कहा,
“माँ, आज हमारा यहाँ अंतिम दिन है. रात में हमें दूसरे स्थान के लिए यहाँ से निकला होगा.”
चिड़िया ने उत्तर दिया,
“इतनी जल्दी नहीं बच्चों. मुझे नहीं लगता कि कल खेत में फसल की कटाई होगी.”
चिड़िया की कही बात सही साबित हुई. दूसरे दिन किसान का पड़ोसी खेत में नहीं आया और फ़सल की कटाई न हो सकी.
शाम को किसान खेत में आया और खेत को जैसे का तैसा देख बुदबुदाने लगा कि ये पड़ोसी तो नहीं आया. ऐसा करता हूँ कल अपने किसी रिश्तेदार को भेज देता हूँ.”
चिड़िया के बच्चों ने फिर से किसान की बात सुन ली और परेशान हो गए. जब चिड़िया को उन्होंने ये बात बताई, तो वह बोली,
“तुम लोग चिंता मत करो. आज रात हमें जाने की ज़रुरत नहीं है. मुझे नहीं लगता कि किसान का रिश्तेदार आएगा.”
ठीक ऐसा ही हुआ और किसान का रिश्तेदार अगले दिन खेत नहीं पहुँचा. चिड़िया के बच्चे हैरान थे कि उनकी माँ की हर बात सही हो रही है.
अगली शाम किसान जब खेत आया, तो खेत की वही स्थिति देख बुदबुदाने लगा कि ये लोग तो कहने के बाद भी कटाई के लिए आते नहीं है. कल मैं ख़ुद आकर फ़सल की कटाई शुरू करूंगा.
चिड़िया के बच्चों ने किसान की ये बात भी सुन ली. अपनी माँ को जब उन्होंने ये बताया तो वह बोली, “बच्चों, अब समय आ गया है ये खेत छोड़ने का. हम आज रात ही ये खेत छोड़कर दूसरी जगह चले जायेंगे.”
दोनों बच्चे हैरान थे कि इस बार ऐसा क्या है, जो माँ खेत छोड़ने को तैयार है. उन्होंने पूछा,
तो चिड़िया बोली,
“बच्चों, पिछली दो बार किसान कटाई के लिए दूसरों पर निर्भर था. दूसरों को कहकर उसने अपने काम से पल्ला झाड़ लिया था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. इस बार उसने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है. इसलिए वह अवश्य आएगा.”
अब चिड़िया के बच्चे भी काफी बड़े हो गये और उन्हें उड़ना भी सीख लिया था, फिर उसी रात चिड़िया और उसके बच्चे उस खेत से उड़ गए और कहीं और चले गए. इस तरह खेत की फसले कटने से पहले ही चिड़िया सुरक्षित स्थान पर चले गये थे.
कहानी से शिक्षा :- इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है की जबतक किसान दुसरो के भरोसे रहा उसके खेत का काम रुका रहा, लेकिन जब वह दुसरो का भरोसा छोड़कर अपना काम खुद से करने का निर्णय लिया तो उस खेत की चिड़िया भी समझ गयी थी की अब किसान ने ठान लिया है तो अपना काम खुद से कर सकता है तो चिड़िया ने अब उस खेत को छोड़ देने का निर्णय लिया था
इसलिए हमे भी अपना काम दुसरो के भरोसे के बजाय खुद से करने पर ज्यादा जोर देना चाहिए.
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Nice story.