Sant Guru Ravidas Ji Biography in Hindi
संत शिरोमणि रविदास का जीवन परिचय
वैसे तो हमारे देश भारत में सदियों से अनेक महान संतो ने जन्म लेकर इस भारतभूमि को धन्य किया है जिसके कारण भारत को विश्वगुरु कहा जाता है और जब जब हमारे देश में ऊचनीच भेदभाव, जातीपाती, धर्मभेदभाव अपने चरम अवस्था पर हुआ है तब तब हमारे देश भारत में अनेक महापुरुषों ने इस धरती पर जन्म लेकर समाज में फैली बुराईयों, कुरूतियो को दूर करते हुए अपने बताये हुए सच्चे मार्ग पर चलते हुए भक्ति भावना से पूरे समाज को एकता के सूत्र में बाधने का काम किया है.
इन्ही महान संतो में संत गुरु रविदास जी | Sant Guru Ravidas Ji का भी नाम आता है जो की एक 15वी सदी के एक महान समाज सुधारक, दार्शनिक कवि और धर्म की भेदभावना से ऊपर उठकर भक्ति भावना दिखाते है तो आईये जानते है ऐसे महान संत गुरु रविदास जी | Sant Guru Ravidas Ji के जीवन के बारे में जिनके जीवन से हमे धर्म और जाती से उठकर समाज कल्याण की भावना की सीख मिलती है.
महान संत गुरु रविदास जी जीवन परिचय
Sant Guru Ravidas Ji Life Biography in Hindi
वैसे तो महान संत गुरु रविदास के जन्म से जुडी जानकारी नही मिलती है लेकिन साक्ष्यो और तथ्यों के आधार पर महान संत गुरु रविदास का जन्म तथ्यों के आधार पर 1377 के आसपास माना जाता है हिन्दू धर्म महीने के अनुसार महान संत गुरु रविदास का जन्म माघ महीने के पूर्णिमा के दिन माना जाता है और इसी दिन हमारे देश में महान संत गुरु रविदास की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.
जीवन परिचय : संत रविदास
Sant guru ravidas Jivani
महान संत गुरु रविदास जी का जीवन परिचय |
नाम – महान संत गुरु रविदास जिन्हें रैदास के नाम से भी जाना जाता है. |
जन्म तारीख – 1377 इसवी से 1398 के बीच माना जाता है. |
जन्मस्थान – वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गाव |
पिता – संतो़ख दास (रग्घु) |
माता – कलसा देवी |
कार्यक्षेत्र – निर्गुणसंत और समाज सुधारक, कविताओ के माध्यम से सामाजिक सीख |
मृत्यु – 1540 इसवी |
महान संत गुरु रविदास जी का जन्म उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गाव में हुआ था इनके पिता संतो़ख दास जी जूते बनाने का काम करते थे रविदास जी को बचपन से ही साधू संतो के प्रभाव में रहना अच्छा लगता था जिसके कारण इनके व्यवहार में भक्ति की भावना बचपन से ही कूटकूट भरी हुई थी लेकिन रविदास जी भक्ति के साथ अपने काम पर विश्वास करते थे जिनके कारण इन्हें जूते बनाने का काम पाने पिता से प्राप्त हुआ था और रविदास जी अपने कामो को बहुत ही मेहनत के साथ पूरी निष्ठा के साथ करते थे और जब भी किसी को किसी सहायता की जरूरत पड़ती थी रविदास जी अपने कामो का बिना मूल्य लिए ही लोगो को जूते ऐसे ही दान में दे देते थे.
एक बार की बात है किसी त्यौहार पर इनके गाववाले सभी लोग गंगास्नान के लिए जा रहे थे तो सभी ने रविदास जी से भी गंगा स्नान जाने का निवेदन किया लेकिन रविदास जी ने गंगास्नान करने जाने से मना कर दिया क्यूकी उसी दिन रविदास जी ने किसी व्यक्ति को जूते बनाकर देने का वचन दिया था फिर रविदास जी ने कहा की यदि मान लो मै गंगा स्नान के लिए चला भी जाता हु तो मेरा ध्यान तो अपने दिए हुए वचन पर लगा रहेगा फिर यदि मै वचन तोड़ता हु तो फिर गंगास्नान का पुण्य कैसे प्राप्त हो सकता है जिससे यह घटना रविदास जी के कर्म के प्रति निष्ठा और वचन पालन को दर्शाता है जिसके कारण इस घटना पर संत रविदास जी ने कहा की यदि मेरा मन सच्चा है मेरी इस जूते धोने वाली कठौती में ही गंगा है.
तब से यह कहावत प्रचलित हो गयी –
अर्थात यदि हमारा मन शुद्ध है तो हमारे हृदय में ही ईश्वर निवास करते है.
रविदास जी हमेसा से ही जातिपाती के भेदभाव के खिलाफ थे और जब भी मौका मिलता वे हमेसा सामाजिक कुरूतियो के खिलाफ हमेसा आवाज़ उठाते रहते थे रविदास जी के गुरु रामानन्द जी थे जिनके संत और भक्ति का प्रभाव रविदास जी के उपर पड़ा था इसी कारण रविदास जी को भी मौका मिलता वे भक्ति में तल्लीन हो जाते थे जिसके कारण रविदास जी से बहुत सुनना पड़ता था और शादी के बाद तो जब रविदास जी अपने बनाये हुए जूते को किसी आवश्यकमन को बिना मूल्य में ही दान दे देते थे जिसके कारण इनका घर चलाना मुश्किल हो जाता था जिसके कारण रविदास जी इनके पिता ने अपने परिवार से अलग कर दिया था फिर भी रविदास जी ने कभी भी भक्तिमार्ग को नही छोड़ा.
जिसके बाद रविदास जी ने यह पंक्ति कही:-
अब कैसे छूटे राम रट लागी। प्रभु जी,
तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी॥
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा॥
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती॥
प्रभु जी, तुम मोती, हम धागा जैसे सोनहिं मिलत सोहागा॥
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै ‘रैदासा’॥
अर्थात रविदास जी ईश्वर को अपना अभिन्न अंग मानते थे और ईश्वर के बिना जीवन की कल्पना भी नही करते थे जिसका परमं हमे इस पंक्ति में दिखाई देता है.
रविदास जी जाति व्यवस्था के सबसे बड़े विरोधी थे उनका मानना था की मनुष्यों द्वारा जातिपाती के चलते मनुष्य मनुष्य से दूर होता जा रहा है और जिस जाति से मनुष्य मनुष्य में बटवारा हो जाये तो फिर जाति का क्या लाभ ?
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
रविदास जी के समय में जाति भेदभाव अपने चरम अवस्था पर था जब रविदास जी के पिता की मृत्यु हुई तो उनका दाहसंस्कार के लिए लोगो का मदद मागने पर भी नही मिलता है लोगो का मानना था की वे शुद्र जाति के है और जब उनका अंतिम संस्कार गंगा में होगा तो इस प्रकार गंगा भी प्रदूषित हो जायेगी जिसके कारण कोई भी उनके पिता के दाहसंस्कार के लिए नही आता है तो फिर रविदास जी ईश्वर का प्रार्थना करते है तो गंगा में तूफान आ जाने से उनका पिता की मृत शरीर गंगा में विलीन हो जाती है और तभी से मन जाता है काशी में गंगा उलटी दिशा में बहती है.
रविदास जी की महानता और भक्ति भावना की शक्ति के प्रमाण इनके जीवन के अनेक घटनाओ में मिलती है है जिसके कारण उस समय का सबसे शक्तिशाली राजा मुगल साम्राज्य बाबर भी रविदास जी के नतमस्तक था और जब वह रविदास जी से मिलता है तो रविदास जी बाबर को दण्डित कर देते है जिसके कारण बाबर का हृदय परिवर्तन हो जाता है और फिर सामाजिक कार्यो में लग जाता है.
रविदास जी के जीवन में ऐसे अनेको तमाम घटनाएं है जो आज भी हमे जातीपाती की भावना से उपर उठकर सच्चे मार्ग पर चलते हुए समाज कल्याण का मार्ग दिखाती है रविदास जी की मृत्यु लगभग 126 उम्र की आयु में 1540 में वाराणसी में हुआ था.
महान संत गुरु रविदास जयंती
Sant Ravidas Jayanti
महान संत गुरु रविदास के प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है भले ही महान संत गुरु रविदास जी हमारे बीच नही है लेकिन उनके द्वारा दिखाए गये सामाजिक कल्याण का मार्ग आज अति महत्वपूर्ण है जिसके कारण हर वर्ष हमारे देश भर में गुरु रविदास जयंती की जयंती माघ महीने के पूर्णिमा के दिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.
महान संत गुरु रविदास के जीवन से शिक्षा
भले ही महान संत गुरु रविदास जी आज हमारे समाज के बीच नही है लेकिन उनके द्वारा बताये गये उपदेश और भक्ति की भावना हमे समाज कल्याण का मार्ग दिखाते है महान संत गुरु रविदास ने अपने जीवन के व्यवहारों से यह प्रमाणित कर दिया था की इन्सान चाहे किसी भी कुल या जाति में जन्म ले ले लेकिन वह अपने जाति और जन्म के आधार पर कभी भी महान नही बनता है जब इन्सान दुसरो के प्रति श्रद्धा और भक्ति का भाव रखते हुए लोगो के प्रति अपना जीवन न्योछावर कर दे वही इन्सान सच्चे अर्थो में महान होता है और ऐसे ही लोग युगों युगों तक लोगो के दिलो में जिन्दा रहते है.
संत रविदास जी का जीवन परिचय संक्षेप मे
Sant Guru Ravidas Ji Short Biography in Hindi
संत रविदास जी का जीवन परिचय संक्षेप मे |
संत गुरु रविदास जी का जन्म 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ था। |
उनका जन्म स्थान काशीपुर, वाराणसी के पास था। |
गुरु रविदास जी का परिवार अत्यंत निम्न वर्गीय था। |
वे अपने जीवन को भक्ति मार्ग में समर्पित करने के लिए प्रेरित हुए। |
रविदास जी ने अपनी उच्च पूज्यता के साथ भगवान की भक्ति में जीवन यापन किया। |
उन्होंने समाज में जातिवाद और असमानता के खिलाफ उठाव किया। |
गुरु रविदास जी के दोहे और भजन आज भी भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। |
उन्होंने सभी मनुष्यों को समान अधिकारों की महत्वता को समझाया। |
गुरु रविदास जी ने धर्मिक समुदाय को एकता और सामंजस्य की महत्वपूर्ण शिक्षा दी। |
उनके भजन और दोहे साधकों को भगवान की उपासना के लिए प्रेरित करते हैं। |
गुरु रविदास जी ने अपने जीवन के दौरान कई महान कार्य किए। |
गुरु रविदास जी की बानी में स्नेह, शांति और भगवान के प्रति श्रद्धा की भावना है। |
उन्होंने अपने भजनों के माध्यम से समाज को धार्मिक और आध्यात्मिक उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक किया। |
गुरु रविदास जी की उपासना और ध्यान का अद्वितीय परिणाम था। |
उनके द्वारा स्थापित किए गए समाज के सिद्धांत आज भी हमें प्रेरित करते हैं। |
उन्होंने अपने जीवन में सच्चे सेवाभाव का पालन किया। |
गुरु रविदास जी की शिक्षाएं आज भी हमें सच्चे मानवता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। |
उन्होंने अपनी शिक्षा के लिए जीवन भर लड़ा। |
गुरु रविदास जी की शिक्षाओं ने समाज में समता और न्याय की प्रेरणा दी। |
गुरु रविदास जी की उपासना और ध्यान का अद्वितीय परिणाम था। |
उनके द्वारा स्थापित किए गए उपदेश और सिद्धांत आज भी हमें जीवन के अर्थ की प्राप्ति के लिए प्रेरित करते हैं। |
उन्होंने सामाजिक बदलाव के लिए लड़ा और लोगों को जागरूक किया। |
उन्होंने समाज को जाति और धर्म के बंधनों से मुक्त कराने का संदेश दिया। |
गुरु रविदास जी ने ध्यान, उपासना, और सेवा के माध्यम से भगवान की खोज में अपना जीवन समर्पित किया। |
उन्होंने समाज में समानता और न्याय के लिए लड़ा। |
गुरु रविदास जी का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी समाज में एकता, समरसता और भगवान की उपासना के लिए प्रेरित करती हैं। |
उनकी वाणी और उपदेश धर्म, भक्ति, और सेवा के माध्यम से मनुष्य को आत्मविश्वास प्रदान करती हैं। |
गुरु रविदास जी ने अपने जीवन में निरंतर भगवान की भक्ति में समर्पित रहे। |
उनकी शिक्षाओं और उपदेशों का प्रभाव आज भी समाज में दिखाई देता है। |
गुरु रविदास जी का संदेश धर्म, सेवा, और समानता की भावना को स्थापित करने के लिए हमें प्रेरित करता है। |
तो आप सभी को महान संत गुरु रविदास जी की जीवनी कैसा लगा, कमेंट में जरुर बताये और इसे शेयर भी जरुर करे.
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Man changa to kathoti mai ganga..
RAVI DAS JI .TEACH ME HOW TO LIVE IN LIFE. ALWAYS SPEAK TRUTH.
OM SAI RAM.
रविदास जी जाति व्यवस्था के सबसे बड़े विरोधी थे उनका मानना था की मनुष्यों द्वारा जाति-पाती के चलते मनुष्य मनुष्य से दूर होता जा रहा है और जिस जाति से मनुष्य मनुष्य में बटवारा हो जाये तो फिर जाति का क्या लाभ ?
Wahi sachche sant the
Good..
Mahan samaj Sudhakar saint guru ravidas ji ko koti koti naman