Be Positive Story in Hindi
सकरात्मक विचारो की शक्ति प्रेरक कहानी
यदि आपके सोच में सकरात्मकता है तो निश्चित ही आप जिस किसी भी कार्य को करेगे, सफल होंगे, ऐसे में सफलता के लिए खुद में Positive Thinking का होना बहुत जरुरी है, तो आईये इस पोस्ट के जरिये सकारात्मक विचारो की शक्ति की एक ऐसी हिन्दी कहानी बताने जा रहे है, जिनसे हम खुद को सकरात्मक रख सकते है, तो चलिए इस हिन्दी कहानी सकरात्मक विचारो की शक्ति की कहानी को पढ़ते है.
सकरात्मक सोच की शक्ति की कहानी
Positive Thinking Hindi Kahani
एक बार की बात है एक महात्मा किसी गाव के पास ठहरे महात्मा की प्रसिद्धि की चर्चा दूर दूर तक फैली हुई थी जिनके आगमन के बारे में जानकर गाववालो ने महात्मा जी के दर्शन का मन बनाया और इसके बाद सभी गाववाले महात्माजी के पास पहुच गये.
तो गाववालो के आने की बात सुनकर महात्माजी बहुत खुश हुए और थोड़ी देर बाद महात्मा जी तैयार होकर गाववालो के सामने उपस्थित हुए महात्मा जी के ललाट पर तेज था जिसे देखकर सभी अत्यंत प्रसन्न हुए और सबने प्रार्थना किया की हे महात्मा आप हमे ज्ञान की कुछ अच्छी बाते बताईये, तो गाववालो के कहने पर महात्मा जी बोले ठीक है आप लोग बैठ जाईये और जिसको जो पूछना है पूछ सकता है इसके बाद महात्मा जी अपने सिंहासन पर बैठ गये
तो उन गाववालो में से एक व्यक्ति महात्मा जी पूछता है की हे महाराज आप ही बताईए की हम सभी अपने दुखो और चिन्ताओ से कैसे छुटकारा पा सकते है तो महात्मा जी ने एक अपनी गठरी मगाया और गठरी को अपने हाथ में उठाकर बोले की आप लोग बताये की इस गठरी का वजन कितना होगा तो सबने अपने अपने हिसाब से उस गठरी का वजन बताया.
तो सबकी बात सुनकर महात्मा जी ने कहा की देखो गठरी का वजन चाहे कितना भी हो कोई फर्क नही पड़ता है फर्क तो सिर्फ इस बात का पड़ता है की इस गठरी को मै इसे कितने समय तक अपने हाथ में उठाये रखता हु.
अगर इसे मै अपने हाथ में एक मिनट तक उठाये रखता हु तो कोई फर्क नही पड़ेगा लेकिन अगर इसी गठरी को अपने हाथो में घंटो तक उठाये रखता हु तो हो सकता है की मेरा हाथ दर्द करने लगे और देर तक उठाने से मेरा हाथ अकड भी जाए.
लेकिन सोचो अगर इसे मै सारे दिन या हर दिन इस गठरी को उठाये रखता हु तो निश्चित ही मै दर्द और परेशानी में पड़ सकता हु और ऐसा करने से मेरे हाथ कमजोर होकर अपाहिज हो सकते है और हाथ उठाने में असमर्थ भी हो सकते है.
तो आप सभी बताईये की इन सभी परिस्थितियों में क्या गठरी का वजन कम हुआ शायद नही, ठीक उसी प्रकार यदि हम अपने जीवन में भी गठरी रुपी दुःख और चिंता को लेकर परेशान रहे तो क्या हमारी दुःख और चिंता कभी कम होगी क्या, शायद कभी नही, हा लेकिन हम सभी अपने दुःख और चिंता को अपने पास कुछ समय तक ही रखे तो हमे उतना कष्ट नही होगा जितना की हम अपने दुखो और चिन्ताओ को जिन्दगी भर ढोते रहे,
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कहानी से सीख –
अक्सर हम सभी के साथ ऐसा होता है की अगर हमारे जीवन में थोडा सा भी दुःख आता है तो उस दुःख के कारण अत्यंत चिंतित हो जाते है और अपना सारा कामधाम छोड़कर बस उसी दुखो की चिंता लिए फिरते है जिसके कारण हमारे बने बनाये अनेको काम बिगड़ जाते है इसलिए हमे कभी भी अपने जीवन में अपने दुखो की चिंता नही करनी चाहिए.
दुनिया में आप चाहे किसी को भी देख ले हर एक के जीवन में दुःख कभी न कभी जरुर आते है लेकिन वही व्यक्ति ज्यादा सुखी होता है वो अपने इन दुखो के कारण चिंतित नही रहता है इसलिए हम सभी को अपने जीवन में हमेसा Positive Thinking के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए क्यू की सकरात्मक सोच की शक्ति से हमारे चिन्ताओ का समूल नाश हो जाता है
आप सभी को जीवन की सोच बदलने वाली Positive Think की ये Hindi Kahani कैसा लगा प्लीज हमे जरुर बताईये.
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