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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के दान की कहानी जो देती मानव मूल्यो की सीख

Surykant Tripathi Nirala Dan Story in Hindi 

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला दान की कहानी

निराला जी का नाम महान भारतीय हिंदी कवियों में गिना जाता है इनका जन्म पश्चिम बंगाल में 1896 सन में हुआ था इनका पूरा नाम सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला था ये मन से बहुत ही दयालु थे, 

तो आईये जानते है इनके जीवन के एक अद्भुत घटना की कहानी निराला का निराला दान Surykant Tripathi Nirala Story in Hindi बताने जा रहे है जो की हम सभी को प्रभावित करती है.

सूर्यकान्त त्रिपाठी की कहानी 

Surykant Tripathi Nirala Story in Hindi

Surykant tripathi Nirala Story

Surykant Tripathi Nirala Story in Hindi – एक बार की बात है निराला जी को अपनी लिखी हुई books के बदले बारह सौ रूपये मिले तो वे बड़े खुश होकर बहुत ही ठाट से एक रिक्शे में बैठकर घर को चल दिए तो रास्ते में उन्होंने देखा की एक बूढी औरत तपती दोपहर की गर्मी में पेड़ की छाया में भीख मांग रही थी वह बहुत ही फटे पुराने कपड़े पहने हाथ फैलायी हुई थी उसकी दशा बहुत ही ख़राब था जिसे देखकर निराला जी ने तुरंत रिक्शा रुकवाया.

और रिक्शे से तुरंत उतरकर उस बूढी औरत के पास पहुच गये निराला जी पास आता देखकर बूढी औरत अपने दोनों हाथ फैलाकर निराला जी भीख मागने लगी.

और निराला जी जब उस बूढी औरत के पास पहुचे तो तुंरत बोले की क्या आज आपको कुछ नही मिला क्या, तो बूढी औरत ने कहा की बेटा आज सुबह से ही कुछ नही मिला.

तो निराला जी ने कहा की आप ने मुझे बेटा कहा तो आप मेरी माँ हुई और ये कैसे हो सकता है की निराला की माँ सडक पर बैठकर भीख मांग रही है ऐसी बात सुनकर उस बूढी औरत की आखो में पानी भर आया.

फिर निराला जी ने एक रूपये बूढी औरत के हाथ पर रखते हुए बोले मै आपका बेटा और आप मेरी माँ अब बताईए कितने दिन तक आप भीख नही मागोगी तो बूढी औरत ने कहा की दो तीन तक नहीं मागूगी बेटा फिर नीराला जी दस रूपये दिए और पूछा की अब कितने दिन तक नही मागोगी तो बूढी औरत ने कहा बीस पच्चीस दिन फिर निराला जी ने पूछा यदि सौ रूपये दू तो बूढी औरत बोली चार पाच महीने बेटा,

धुप बहुत तेज होने के कारण निराला जी पसीने से भीग गये थे निराला जी हाथो में नोटों का बंडल देखकर बूढी औरत ने अपने आचल फैला दिए निराला जी हर बार पूछते रहे और पैसे आचल में डालते रहे और बार पूछते अब कितने दिन नही मागोगी, इस तरह एक माँ मागती रही और बेटा देता गया और उधर निराला जी की जेब खाली होती गयी.

ये सब देखकर रिक्शे वाला हक्का बक्का देखता रहा और उधर बूढी औरत इतने सारे पैसे अपने आचल में देखकर पागल सी हो गयी और बोली अब कभी नही मागुगी अब कभी भी भीख नही मागना पड़ेगा और इतना कहने के बाद निराला जी अपने सारे पैसे उस बूढी औरत के आचल में डाल दिए और सारे पैसे देने के बाद निराला जी सीधे महान कवियत्री महादेवी वर्मा के घर पहुच गये.

और पहुचते ही महादेवी वर्मा से निराला जी बोले आप रिक्शे का किराया दे दीजिये तो महादेवी वर्मा जी ने आश्चर्य से पूछा जो बारह सौ रूपये मिले वो कहा गये.

Surykant Tripathi Nirala Story in Hindi

निराला जी ने कहा की रूपये तो मिल गये थे लेकिन वे रूपये माँ को दे दिए थे रिक्शे वाला चुपचाप दोनों की बाते सुन रहा था और फिर उसे चुप न रहा गया और सारी बात महादेवी वर्मा जी को बता दी, ये सब बाते सुनकर महादेवी वर्मा जी आखो में पानी भर आया और उन्होंने रिक्शे वाले को शुक्रिया अदा कर उसके पैसे देके विदा कर दिया.

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तो दोस्तों देखा आप ने किस प्रकार जो इन्सान महान होते है उनका दिल बड़ा और बहुत ही कोमल होता है उनको किसी की भी दुःख नही देखि जाती है उनके तो सिर्फ दुसरो की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी दिखती है और जो व्यक्ति महान होते है वे दुसरो की मदद के लिए अपनी साड़ी खुशिया भी त्याग देते है.

ऐसे व्यक्तियों को अपने पराये में कोई फर्क नही होता है उन्हें तो पराये भी अपने लगते है और महान व्यक्ति किसी से भी मानवता का रिश्ता जोड़ लेते है जो की आम इन्सान को ऐसा नही कर पाते है.

Surykant Tripathi Nirala Story in Hindi

तो यदि हमे अपनी ख़ुशी के बदले यदि दुसरो को थोडा सा भी ख़ुशी दे तो निश्चित ही हमे उस ख़ुशी के बदले दोगुना आनंद प्राप्त होता है और जिन इन्सान में ये सब गुण होता है वे निश्चित ही अपने इन कर्मो की वजह से महान हो जाते है

तो क्या हम भी लोगो की बड़ी न सही यदि छोटे छोटे मदद कर दिया करे तो निश्चित ही हम एक अच्छे इन्सान तो बन ही सकते है.

तो आप सभी को ये Hindi story निराला का निराला दान कैसा लगा, Comment बॉक्स में जरुर बताये और इस कहानी को शेयर भी जरुर करे.a

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