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सिख धर्म का त्यौहार बैसाखी त्यौहार पर निबंध

Essay On Baisakhi In Hindi

बैसाखी त्यौहार पर निबंध

बैसाखी का त्योहार जो की सिख धर्म का त्यौहार है, यह त्यौहार हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है. हमारे देश के पंजाब प्रान्त और देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले सिख समुदाय द्वारा इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. बैसाखी जो की सिख धर्म के नये वर्ष के शुभारम्भ का दिन | Panjabi New Year होता है, जब सिख धर्म के दसवे गुरु गोविन्द सिंह ने खालसा पंथ की नीव रखी थी, उसी दिन से खालसा पन्थ की शुरुआत हुई थी, जिस कारण से सिख धर्म में इसे शुभ दिन माना जाता है, जिसे बैसाखी त्यौहार के रूप में मनाते है.

तो चलिए अब सिख धर्म के इस त्यौहार बैसाखी पर निबन्ध Essay on Vaisakhi in Hindi, Paragraph on Baisakhi, Panjabi New Year, बैसाखी एस्से, Essay on Baisakhi Festival in Hindi Punjabi New Year 2023, Short and Long Essay on Vaisakhi in Hindi के बारे में जानते है.

वैसाखी पर निबंध

Baisakhi Festival Essay Panjabi New Year in Hindi

Baisakhi in Hindiबैसाखी सिख धर्म के मानने वाले लोगो का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है जो की सिख धर्म के लोगो द्वारा इसे बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन को सभी सिख लोग अपने नव वर्ष के रूप में भी मनाते हैं। यह पर्व रबी की फसल काटने की ख़ुशी में मनाया जाता है| इस त्यौहार को हमारे देश भारत में सबसे ज्यादा पंजाब में और हरियाणा राज्य में मनाया जाता है|

चुकी यह यह सिख धर्म का त्यौहार है, तो पूरे देश में सिख धर्म के लोगो द्वारा हर जगह मनाया जाता है, बैसाखी के दिन ही सिखों के दसवे गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्तापना किया था, जिस कारण से इस त्यौहार की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाता है.

बैसाखी का त्यौहार कब है

इस साल 2023 में बैसाखी का त्यौहार 13 अप्रैल को मनाया जायेगा. यानि बैसाखी 13 April को है.

बैसाखी त्यौहार का उत्सव कैसे मनाया जाता है – बैसाखी मेला

Baisakhi Festival Celebration in Hindi

बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए हर शहर शहर या मुहल्ले में एक मेला लगता है, सामान्यता आमतौर से ऐसे स्थान पर बैसाखी मेला का आयोजन किया जाता है, जहा पर इसका धार्मिक महत्त्व होता है, साधारण रूप से बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए बैसाखी मेला नदी या नहर अथवा तालाब के किनारे या मंदिर के स्थानों पर यह मेला लगता है । बैसाखी पर्व के एक दिन पूर्व यहां बाजार लगता है । इस मेले में अनेक मिठाई, चाट, खिलौनों, फलों जैसे अनेक चीजो की की अनेक दुकानें लगाई जाती हैं, जिस कारण से लोग बडी संख्या में आकर खरीदारी करते हैं ।

बैसाखी मेले में तरह-तरह की दुकाने लगी होती हैं, इसमे अनेक प्रकार के झूले और चर्खियाँ लगाई जाती हैं। सभी लड़के-बच्चे और स्त्रिया नाना प्रकार के घूमते झूलों में बैठते हैं, और हवा में तेजी से ऊपर-नीचे होते हुए बहुत ही खुश होते है, और इन झूलो में बच्चे इनमें बैठकर बहुत ही ज्यादा खुश होते है.

बैसाखी के इस मेले में अनेक नट, जादूगर और बाजीगर भी आ जाते हैं, वे सभी दर्शकों को तरह-तरह के खेल दिखाकर अच्छी आमदनी कर लेते हैं । मेले में कहीं मदारी बदंरों का नाच दिखाते हैं, तो कहीं भालू का नाच होता है। चाट-पकौडी की दुकानो पर बच्चों और स्त्रियों की बहुत भीड़ दिखाई देती है। बैसाखी के दिन तो इन मेले में बहुत अधिक भीड़ हो जाती है, चारों ओर आदमी-ही-आदमी दिखाई देते है.

बैसाखी नृत्य – बैसाखी मेले में लोक-नृत्य का प्रदर्शन भी किया जाता है । मेले के एक भाग में बहुत-से लोग घेरा बनाकर खडे दिखाई देगे । बीच में ग्रामीण पुरुषों और महिलाओ की एक टोली होगी । ये आमतौर पर आस-पास के गाँवों के किसान होते हैं । वे ढोल-नगाडों की तान पर अपने लोक-नृत्यों का प्रदर्शन करते है। हाथों में वे लम्बे-लम्बे डंडे लिये होते हैं, उन्हें हवा में उछाल कर कूदते है और डंडे लपक लेते हैं, इन नृत्य करने वाले लोगो के हाथ-पैरों को हवा मे उछाल कर वे जोर-जोर से “बैसाखी आई रे, बैसाखी आई रे” जैसे गीत गाते हैं,

सभी नृत्य करने वाले खुशी से झूमते हैं । बहुत-से दर्शक भी अपने आपको नहीं रोक पाते और स्वय नाचने लगते हैं ।जिसे देखकर सभी बहुत ही खुश होते है, और एक दुसरे को बैसाखी की बधाई देते है.

इन बैसाखी मेले में एक ओर आमोद-प्रमोद के अनेक साधन होते हैं जो लोगो को काफी खुशनुमा बना देते है, तो दूसरी ओर अनेक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति अपने धर्म के प्रचार का काम करते है, इनमे भक्ति भजन गाये जाते हैं और धार्मिक प्रवचन होते हैं । यही बैठकर लोग सांसारिक वैभव भूल कर ईश्वर का ध्यान करते हैं.

बैसाखी त्यौहार का महत्व

Baisakhi Festival Significance in Hindi

सिख समुदाय के लोगों के लिए बैसाखी का दिन बहुत मायने रखता है, एक तरफ जहा इसे पंजाबी लोग इसे अपने नये वर्ष के रूप में मनाते है तो दूसरी तरफ किसानो के लिए इस दिन से फसल काटने का दिन शुरू हो जाता है, जो की किसानो के लिए यह त्यौहार ढेर सारी खुशिया भी लाता है.

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