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जादुई मटका की कहानी – Jadui Matka Ki Hindi Kahani

Jadui Matka Ki Hindi Kahani

जादुई मटका की कहानी

कहानिया पढना हर किसी को अच्छा लगता है, और ऐसे में जादुई कहानिया तो और भी लोगो को रोमांचित करती है, तो चलिए इस पोस्ट में जादुई मटका की कहानी | Jadui Matka Hindi Kahani को जानते है. जो की बहुत ही अच्छी शिक्षा देती है.

जादुई मटके की कहानी

Jadui Matka Motivational Hindi Kahani

एक गरीब लड़का था, वो अपनी बूढ़ी मां के साथ एक छोटे से गांव में रहा करता था। उसकी मां गांव के कुछ लोगो के घर में काम का कर के अपनी और अपने बेटे की जीविका चलाती थी। गांव में उस लड़के को लोग प्यार से रमेश बोलते थे।

लेकिन उसकी मां को शौक था कि उसका बच्चा पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बन जाए क्यूंकि वो नहीं चाहती थी कि रमेश भी उसकी तरह गरीबी में ही अपनी पूरी जिंदगी गुजार दे। इसलिए वो गांव के ही एक स्कूल में रमेश का नाम लिखवा दी थी और जो पैसा उस लोगों के घर में काम कर के मिलता था उसमें से कुछ पैसे बचाकर वह रमेश के स्कूल की फीस भरा करती थी। रमेश भी पढ़ने में काफी होशियार था।

स्कूल में उसे जो भी पढ़ाया जाता था वो उसे झट से समझ लेता था और याद भी कर लेता था। रमेश एक बहुत ही समझदार लड़का था उस अपनी मां कि ये दशा नहीं देखी जाती थी। इसलिए वो दिन-रात मेहनत कर के पढ़ता था ताकि वो जल्दी ही नौकरी करने लगे और बहुत पैसे कमाने लगे ताकि उसकी मां को दूसरे के घरों में जाकर काम नहीं करना पड़े। कई दिन बीत गए रमेश की मां अब ज्यादा बूढ़ी हो गईं थीं। उससे अब काम नहीं हो पाता था। लेकिन समय के साथ साथ रमेश भी बड़ा हो गया था।

अब उसका दाखिला कॉलेज में कराना था लेकिन उसकी मां के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो शहर के किसी कॉलेज में रमेश का दाखिला करा सके। इसलिए अब रमेश गांव में ही जमींदारों के यहां कुछ काम करता था और अपनी मां की सेवा किया करता था। लेकिन उसकी मां की हालत धीरे धीरे और भी खराब होते जा रही थी और उनलोगो के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे इलाज के लिए पैसे जुटा सकें।

Jadui Matkaएक दिन शाम के समय रमेश गांव के एक नदी के किनारे बैठे बैठे सोच रहा था कि क्या किया जाए जिससे ढेर सारा पैसा आ जाए। उस कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो करे क्या। थक कर वो सोचा की घर चला जाए। घर जाने की सोच कर वह वहां से उठकर चलने लगा। तभी अचानक उसके पैर के आगे कुछ पत्थर जैसी चीज लगी। उसे लगा कि वो गिर जाएगा,

उसने देखा कि आगे मिट्टी में कुछ चमक रहा है। उसने उस चीज के बारे में जानने के लिए वहां से मिट्टी हटाई तो उसने देखा कि एक घड़े के जैसे कुछ चीज दबी हुई है। उसने उत्सुकतावश वहां इधर उधर गिरी हुई किसी चीज की मदद से मिट्टी को हटाया तो पाया कि वहां एक घड़ा है और उसमें कई सारी सोने, चांदी और हीरे – जवाहरात की चीजें हैं।

उसने आस – पास देखा तो कोई नहीं था क्यूंकि जब वह नदी किनारे गया था तो शाम का समय था और उसे सोचते-सोचते कब समय गुजर गया पता भी नहीं चला। रात हो जाने की वजह से और कोई उस रास्ते से नहीं आ – जा रहा था। रमेश ने मटके को उठाया और अपने घर ले गया। उसने कुछ दिनों तक इंतजार किया कि अगर ये मटका किसी का होगा तो वो जरूर ढूंढेगा।

लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी उस मटके को कोई नहीं ढूंढ़ रहा था। अब उस मटके की सहायता से उनकी गरीबी दूर हो गई। उस जादुई मटके की यह खासियत यह थी कि जो भी चीज डालो उस चीज से मटका भर जाता था इस प्रकार वह कभी भी खाली नहीं होता था और इस तरह वे लोग खुशी खुशी अपना जीवन – यापन करने लगे।.

कहानी से शिक्षा :-

इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है की यदि हम अपना कार्य मेहनत और ईमानदारी से करे तो निश्चित ही हमे किसी न किसी माध्यम से हमारी मदद होने लगती है जो हमे सफलता की ओर ले जाती है.

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