अपने दिमाग से सोचने की सीख Hindi Kahani
आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहा हु जो की हमे खुद को सोच पर आधारित है यानी हम जो कुछ भी करे वो अपने दिमाग से सोच समझकर करे न की दुसरो के कहने पर, अगर हम दुसरो के कहने पर कुछ ऐसा करते है तो हमे बदले में पछतावा भी मिल सकता है,
बहुत समय पहले की बात है किसी एक गाव में एक गरीब जुलाहा रहता था जो बहुत ही सीधा साधा और बहुत ही मेहनती था वह कपड़े बुनता था और अपने परिवार का इसी से पालन पोषण करता था.
एक दिन की बात है जब वह हथकरघे से कपड़े बन रहा था तो अचानक उसकी लकड़ी जोर के आवाज़ के साथ टूट गयी, अब तो गरीब जुलाहा बहुत दुखी हो गया और सोचने लगा की अब वह क्या करे लेकिन बहुत देर सोचने के बाद उसकी पत्नी के कहने पर वह करघे के लिए दूसरी लकड़ी लेने जंगल चला गया.
जंगल में जाकर उसने एक बहुत बड़ा पेड़ देखा जिसकी बहुत सारी टहनिया नीचे लटकी हुई तो वह जुलाहा बहुत ही खुश हो गया और सोचा चलो इसकी लकड़ी काटकर करघे को फिर से सही कर दूंगा.
ऐसा सोंचकर वह पेड़ के टहनियों के एकदम पास पहुच गया और अपनी कुल्हाड़ी से टहनी काटने लगा तो उस पेड पर एक यक्ष रहता था और जब जुलाहा पेड़ की टहनी को काट रहा था तो वह तुरंत उसके पास पंहुचा और जुलाहा से बोला की यह पेड़ ही मेरा घर है इसे तुम नुकसान मत पहुचाओ,
ऐसी बाते सुनकर जुलाहे का हाथ रुक गया और और उसने यक्ष से बोला की यदि मै लकडिया नही काटूँगा तो अपने करघे के लिए कहा से लकड़ी लाऊंगा और फिर करघा सही नही होंगा तो मेरा परिवार भूख से मर जायेगा तो इस स्थिति में मै क्या करू तुम ही बताओ
तो यक्ष जुल्हाहे की परेशानी सुनकर बोला की मै तुमसे और तुम्हारे सादगी और सच्चाई से खुश हु इसलिए मै तुम्हारा Help करुगा इसलिए तुम मुझसे कोई एक वरदान मांग लो.
तो यक्ष की बात सुनकर जुलाहा बहुत खुश हुआ और बोला की यदि आप मुझपर खुश है तो मुझे कुछ समय दीजिये, मै अपने पत्नी से राय लेकर आप से वरदान मांग लूँगा.
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इतना सुनकर यक्ष ने हामी भर दी तो जुलहा तुरंत अपने घर चला गया और रास्ते में उसे अपना दोस्त मिला तो उसने पूछा की कौन सा वरदान मांगू तो उसके दोस्त ने कहा की की तुम एक राज्य मांग लो और फिर तुम वहा का राजा बन जाना तो उसने कहा की ठीक है अब घर जाकर अपनी उसने पत्नी की सारी बात बता दी
और अपनी पत्नी से कहा की कौन सा वरदान मांगू तो उसकी पत्नी ने कहा की हम लोग गरीब है हमे राजपाट से क्या मतलब, राजा बनना तो बडो का काम है हम तो जुलाहे है हम लोग ज्यादा से ज्यादा कपड़े बुन सके इसलिए आप दो हाथ और मांग लो जिससे आप ज्यादा कपड़े बुन सकेगे,
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जिससे आप दोगुना कपड़े बन सकेगे और फिर हमारी कमाई भी दोगुनी हो जायेगी और फिर हम अमीर हो जायेगे
फिर जुलाहा अपनी पत्नी की सलाह को मानकर जल्दी से जंगल में यक्ष के पास पहुच गया और बोला की मुझे दो और हाथ दे दो तो यक्ष ने कहा ऐसा ही होगा और फिर अब जुलाहे के दो की जगह चार हाथ हो गये
अब तो जुलाहा अपना मनपसंद वरदान पाकर बहुत खुश हुआ और ख़ुशी ख़ुशी घर जाने लगा और जैसे ही वह गाव में पंहुचा लोग उसे राक्षस समझकर डंडे से पीट पीटकर मारने लगे और तो जुलाहा वहा से किसी तरह जान बचाकर जंगल की तरफ भागा और फिर उसी पेड़ ख़ुशी ख़ुशी पास यक्ष के यहां पहुच गया,
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और पीटने की सारी बात बता दी और रोने लगा और कहा की मुझे दो हाथ ही ठीक है सो आप मुझे पहले जैसा बना दीजिये तो यक्ष ने कहा की दिया हुआ वरदान कभी वापस नही होता है
तो गरीब जुलाहा बोला अगर मै ऐसे रहा तो लोग मुझे मार डालेगे फिर मेरे मरने के बाद मेरा परिवार भी भूखो मर जायेगा इसलिए आप दया करे.
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जुलाहे की बात सुनकर यक्ष को दया आ गयी और फिर पहले जैसा बना दिया और कहा की अपनी जीवन में कभी भी दुसरो की सोच से नही खुद की सोच से चलाना सीखो तो कभी नही परेशान होगे तो जुलाहा बोला अब ऐसा ही होंगा और फिर जुलाहा कोई भी काम करता तो अपनी सोच और विचार से.
तो पने देखा की किस प्रकार जब हम सोचना बंद कर दुसरो पर निर्भर हो जाते है तो हमे ही परेशानी उठाना पड़ता है इसलिए हम जो कुछ भी करे खुद की सोच विचार से न की दुसरो पर राय पर क्यू की दुसरो की राय सही भी हो सकती है और गलत भी.
जैसा की कहा भी गया बिना विचारे जो करे सो आगे पछताय इसलिए ह जो भी कुछ करे उसके लिए खूब विचार कर ले
कहानी से शिक्षा –
खुद की सोच से सोचना और करना कही अधिक जरुरी है जितना की दुसरो की राय जान लेना.
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तो आप सबको ये अपने दिमाग से सोचने की Hindi Kahani कैसी लगी Comment Box में जरुर बताये.
Bahut gyan vardhak hai..