Poor Farmer Inspiring Story In Hindi
एक गरीब किसान की कहानी
अपने लिए तो हर कोई जीता है लेकिन जो लोग दुसरे के लिए जीते है वही लोग हमेसा याद किये जाते है और ऐसे लोगो की मदद भी ईश्वर खुद करते है इसी सोच पर आज हम एक ऐसी Garib Kisan Ki Kahani in Hindi Moral Hindi Story बताने जा रहे है जिनसे हम सभी को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है तो चलिए इस गरीब किसान की कहानी को जानते है.
गरीब किसान की प्रेरणादायक कहानी
Poor Farmer Inspiring Moral Hindi Story
एक बार की बात है एक गाँव में गरीब किसान अपनी पत्नी की साथ रहता था उसके पास एक गाय और थोड़ी सी खेती के लिए जमीन थी जहा वह दिन भर अपने खेतो में काम करता था तब कही जाकर उसे खाने के लिए अनाज हो पाते थे इस तरफ से किसान अपना किसी तरह जीवन गुजारा करते थे जिस कारण से किसान की पत्नी हमेसा अपने भाग्य और भगवान को कोसती रहती थी की ना जाने किस जनम का पाप इस जनम में भरना पड़ रहा है जो की गरीबी में जीवन जीना पड़ रहा है,
पत्नी की बातो को सुनकर किसान मन ही मन खुद को और अपने भाग्य को कोसता रहता था की न जाने कब उसके किस्मत के भाग्य बदलेगे
एक दिन की बात है दोपहर का समय था किसान खेतो से आकर अपने घर पर अपनी पत्नी के साथ खाना खाने जा रहा था की इतने में एक साधू महाराज भिक्षा मागते हुए उसके दरवाजे पर पहुचे और भिक्षा मागने लगे तो इतने में किसान घर के बाहर आया और बोला “साधू महाराज हम सभी पहले से इतने गरीब है और किसी तरह अपना जीवन गुजार रहे है और ऐसे में हम आपको कहा से दान दे, हमारा साथ तो ऊपर वाला भी छोड़ चुका है”
गरीब किसान की बात सुनकर साधू महाराज उसके स्थिति को समझ चुके थे और बोले “क्या तुम सच में अपने को गरीब मानते हो ईश्वर पर से तुम्हारा विश्वास उठ गया है ना”
तो साधू की बातो को सुनकर हामी भर दी और किसान बोला “हां महाराज हमारे साथ कुछ ऐसा ही है अब आप ही चाहो तो आपके आशीर्वाद से शायद हमारी किस्मत बदल जाए”
तो किसान की यह बात सुनकर साधू महाराज ने कहा “ठीक है जैसा हम कहते है ठीक वैसे ही करते जाओगे”
तो गरीब किसान बोला क्या करना होगा हमे जिससे हमारे अच्छे दिन आ जाये और हमारी गरीबी दूर हो जाये
तो साधू महाराज बोले “ठीक है आज से वह काम करना पड़ेगा जिससे ईश्वर तुमसे प्रसन्न हो, सबसे पहले अपने गाय को बेच दो और गाय के बदले मिले पैसो से अनाज खरीद कर लें आना”
साधू की यह बात सुनकर किसान भौचक्का रह गया, उसके पास अपनी खेत की जमीन और एक यही गाय तो सहारा है इसे भी बेच देगा तो फिर करेगा क्या?
तो साधू उसे समझाते हुए बोले अगर मेरे बताये हुए रास्ते पर चलने से तुम्हारा कुछ भी नुकसान होता है तो उसकी भरपाई मै कर दूंगा अब जो कहता हु वैसा करते जाओ
तो किसान फिर आधे अधूरे मन से डरते डरते अपनी गाय को बेच आया और उन मिले पैसो से खाने पीने का राशन ले आया
और फिर साधू के कहने पर किसान और उसकी पत्नी ने मिलकर भोजन तैयार किये जिसके बाद वे राहगीर चलते हुए लोगो को बुलाने लगे और भगवान के प्रसाद के रूप में भोजन करने का आग्रह करने लगे फिर जो भी उधर से गुजरता गरीब किसान उन्हें भरपेट भोजन कराते जिससे राहगीर काफी खुश होते और फिर उन्हें इस नेक कार्य के लिए ढेर सारा आशीर्वाद और अपनी इच्छानुसार धन भी देते जिससे वे फिर से मिले इन पैसो से लोगो को भोजन कराये,
इस तरह साधू महाराज के कहने पर यह रोज का सिलसिला चलने लगा हर दिन गरीब किसान अब मिले पैसो से भोजन प्रबंध करते जिससे राह चलते लोग प्रतिदिन उसके यहाँ भोजन करते और दान के रूप में किसान को कुछ ना कुछ धन जरुर देते जाते
जिससे गरीब किसान के दान की बात धीरे धीरे दूर दूर तक फैलने लगी थी फिर धीरे बड़े बड़े नगरो के सेठ साहूकार, व्यापारी, राजदरबारी जो कोई भी उस गाँव से गुजरता उस किसान के यहा ही भोजन करता और बदले में किसान को इस महान कार्य के लिए ढेर सारा धन भी देते जाते थे जिससे धीरे धीरे गरीब किसान मिले पैसो से अमीर होने लगा और अब एक गाय के बदले कई ढेर सारे गाय खरीद लाये और अपने भोजन कार्य को भी बढ़ाने लगा,
अब किसान मन ही मन खुश होने लगा था उसे अपने बदलते किस्मत पर भी भरोसा होने लगा था जिसे देखकर साधू महाराज किसान का हाल पूछते हुए बोले “ अब बताओ तुम भी वही गरीब किसान हो यहा भी दिन रात मेहनत करते हो और ईश्वर के बताये गये पुण्य के मार्ग पर चलते हुए लोगो को भोजन कराते हो जिससे अब ईश्वर भी तुमसे प्रसन्न है, पहले जहा खुद के लिए मेहनत करते थे खुद के लिए ही सोचते थे,
लेकिन अब दुसरो के भलाई के बारे में सोचने लगे हो तो ईश्वर भी अब तुम्हारे इस नेक कार्य में तुम्हारा साथ देते है यानी हम सभी ईश्वर को कोसते तो जरुर है लेकिन ईश्वर के बताये मार्ग पर चल नही सकते, ईश्वर से पाने के लिए हर कोई इच्छा तो रखता जरुर है लेकिन पहले ईश्वर के आशीर्वाद पाने के लिए खुद को वैसा बनाना पड़ता है यानी हम जैसा करते है हमारे कर्मो के अनुसार ही हमारे भाग्य का निर्धारण होता है”
साधू की यह बात को सुनकर किसान को अब समझ में आ गया था अगर सच में जीवन में अमीर बनना है तो सबसे पहले हमे अपनी सोच बदलनी होगी अपने लिए तो हर कोई जीता है यदि हम दुसरो के लिए जीना शुरू करते है तो ईश्वर भी हमारी सहायता जरुर करते है
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हम सभी को यही शिक्षा मिलती है की हमे अपने भाग्य और किस्मत के भरोसे रहकर खुद को कोसने के बजाय हमे लोगो के लिए यदि जीना शुरू करते है तो निश्चित ही ईश्वर हमारे साथ हमेसा होता है और ऐसा हम तभी कर सकते है जब हम अपनी सोच से बाहर निकलकर दुसरे के लिए जीना शुरू करते है
हमारे समाज में ऐसे अनेक महापुरुषों के उदहारण मिल जायेगे तो की इस समाज के लिए जिये जिस कारण से उन्हें हर कोई जानता है जो सिर्फ अपने लिए जीते है वे अपने जीवन को एक निश्चित ही दायरे में जिक्र चले जाते है फिर उनके बाद उन्हें कोई नही याद करता जबकि जो लोग समाज के लिए जीते है वे इतिहास बनाकर भले ही इस दुनिया से चले जाते हो लेकिन वे हमेसा ही सबके लिए में याद रहते है,
इस तरह यदि हमे भी अपने जीवन में आगे बढ़ना है तो अपनी सोच बदलनी होगी और खुद के बजाय अपने लोगो अपने देश के बारे में सोचना चाहिए तभी हम जीवन पाने का सही महत्व जान पायेगे और दुसरो के लिए उदहारण बन पायेगे,
तो आपको सीख देती यह Moral Hindi Story गरीब किसान की कहानी कैसा लगा कमेंट में जरुर बताए और इस इस कहानी को शेयर भी जरुर करे.
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