Dhanteras Puja Story Katha Mahatva in Hindi
धनतेरस पूजा की जानकारी, कथा और महत्व हिन्दी में
भारत देश त्योहारों का देश (Country of Festival) कहा जाता है त्यौहार यानी Festival हमारे जीवन में ढेर सारी खुशिया लाते है इन्ही त्योहारों में से एक हिन्दू धर्म का प्रमुख त्यौहार धनतेरस पूजा भी है वैसे हिन्दू धर्म में इन त्योहारों के मनाने के पीछे कोई धार्मिक या सामाजिक कारण जरुर होता है इसी तरह हमारे देश में धनतेरस पूजा का त्योहार भी बड़े ख़ुशी और धूमधाम से मनाया जाता है तो आईये आज हम सब धनतेरस पूजा के त्यौहार के बारे में जानते है
धनतेरस पूजा
Dhanteras Puja in Hindi
धनतेरस पूजा हिन्दू धर्म के हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी यानि तेरस के दिन मनाया जाता है यानी यह त्यौहार दीपवाली के ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है इस दिन लोग अपने घरो के बाहर मुख्य दरवाजे पर मिट्टी के दिये जलाते है और इसी त्योहार के साथ दीपावली के त्यौहार की शुरुआत भी हो जाती है और फिर लोग इस दिन नये शगुन के रूप में बर्तन, सोने चांदी खरीदते है या इस शुभ दिन के अवसर पर अपने नये कार्यो की शुरुआत भी करते है
धनतेरस पूजा क्यों मनाया जाता है
Dhanteras Puja Kyo Manaya Jata Hai
जैसा की हमने ऊपर पहले भी बताया है की इन त्योहारों को मनाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक, सामाजिक कारण जरुर होता है जिसमे मानव कल्याण की भावना निहित होती है और इन त्योहारों के मनाने के माध्यम से लोग अपनी खुशियों का आदान प्रदान भी करते है तो इसी तरह धनतेरस पूजा / Dhanteras Puja मनाने के पीछे भी एक एक धार्मिक कथा है जिसे आईये हम सब जानते है
धनतेरस पूजा की कथा
Dhanteras Puja Story Katha in Hindi
धनतेरस पूजा मनाने की परम्परा की शुरुआत इस कथा से लिया जाता है हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार जब अमृत प्राप्ति के उद्देश्य से समुन्द्र में मंथन किया जा रहा था तब कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी यानि तेरस के दिन इसी समुन्द्र मंथन से भगवान धन्वन्तरि अपने हाथो में कलश लेकर प्रकट हुए थे जो की कलश अमृत से भरा हुआ था जिसको पाने का प्रयास देवता और दानव दोनों कर रहे थे फिर बाद में यही अमृत पीकर सदा के लिए अमर हो गये यानि उन्हें जन्म मृत्यु के चक्कर से छुटकारा भी मिल गया जिस कारण देवता हमेसा के लिए आरोग्य हो गये जिसके कारण भगवान धन्वन्तरी को देवता के जीवन देंने वाले “देवताओ का चिकित्सक” भी कहा जाता है
इस तरह सभी अपने जीवन में रोग मुक्त हो इस कारण भगवान धन्वन्तरी के जन्म के शुभ अवसर को धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है जिसके कारण इस दिन से भगवान धन्वन्तरी की पूजा किया जाने लगा ताकि हमारे धरती पर लोग स्वस्थ और आरोग्य पूर्ण जीवन व्यतीत करे और स्वस्थ होने के लिए चिकित्सा को भी बढ़ावा दिया जाने लगा
एक अन्य कथा के अनुसार राजा हेम को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसकी कुंडली दिखाने पर पता चला की बालक का जिस दिन विवाह होंगा विवाह के ठीक 4 दिन बाद वह बालक अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा जिसके कारण उस राजा ने अपने पुत्र के ऐसे जगह भेज दिया जहा कोई भी स्त्री नही थी लेकिन बलवान समय के चलते वहा भी एक दिन सुंदर राजकुमारी गुजरी और फिर उस बालक से आगे चलकर विवाह किया जिसके फलस्वरूप उसके लिखित भाग्य एक अनुसार ठीक 4 दिन यमदूत उस बालक के प्राण लेने आ गये जिसे देखकर वह राजकुमारी अप्पने प्रिय पति के प्राणों की भीख मागने लगी
तो यमदूत ने कहा की इस अकाल मृत्यु से बचने के लिए इंसानों को भगवान धन्वन्तरी की पूजा करनी चाहिए यदि जो कोई भी भगवान धन्वन्तरी के जन्मदिवस यानी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी यानि तेरस के दिन विधिवत पूजा अर्चना करके दक्षिण दिशा में अपने घर के बाहर दिए जलाएगा उसे कभी भी अकाल मृत्यु की प्राप्ति नही होगी और इस तरह लोग अपनी लम्बी स्वस्थ आयु और सेहतमंद जीवन की आशा के चलते इस दिन भगवान यम और भगवान धन्वन्तरी के पूजा के रूप में धनतेरस पूजा की शुरुआत हुई
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धनतेरस पूजा कैसे मनाया जाता है
Dhanteras Puja Kaise Manaya Jata Hai
चुकी धनतेरस पूजा भगवान धन्वन्तरी के जन्म के रूप में मनाया जाता है जब भगवान धन्वन्तरी समुन्द्र से निकले थे उनके हाथ में सोने के पात्र में अमृत भरा हुआ सोना यानि धन और समृद्धि का प्रतिक होता है जबकि अमृत कभी न खत्म होने वाले जीवन यानि अमरता का प्रतिक है इसलिए धनतेरस पूजा का महत्व दोगुना महत्व बढ़ जाता है हर इन्सान यही चाहता है की वह हमेसा धन्यधान से परिपूर्ण हो और लम्बी स्वस्थ आयु वाला जीवन व्यतीत करे
इसलिए लोग धनतेरस के दिन नये पात्र यानि कोई नई बर्तन चाहे वह सोना, चांदी या किसी भी प्रकार का हो जरुर खरीदते है और फिर शाम को धनतेरस पूजा के लिए यह भगवान धन्वन्तरी के सामने बर्तन रखकर विधिवत घी के दिए जलाया जाता है और पूजा अर्चना की जाती है और फिर घर के बाहर शाम के समय दक्षिण दिशा में दिए जरुर जलाये जाते है जो की भगवान यम को प्रसन्न करने का दिन होता है जिससे उनकी कृपा से मानव मात्र पर अकाल मृत्यु का प्रकोप न पड़े और हमेसा जीवन लम्बी आयु का हो
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धनतेरस पूजा का महत्व
Dhanteras Puja ka Mahatva
धनतेरस पूजा की ऐसी मान्यता है की इस दिन जो भी चीजे की जाती है वह तेरह गुना अधिक बढ़ जाती है इसलिए लोग स्वस्थ जीवन की कामना से देवताओ का चिकित्सक भगवान धन्वन्तरी की पूजा का विशेष महत्व है सो दिन जब कोई भी शुभ कार्य करते है तो उसका कई गुना अधिक फल मिलता है इसलिए इस दिन चांदी, सोने के सिक्के, बर्तन, गहनों का खरीदना अत्यधिक शुभ माना जाता है और धन की कामना की पूर्ति के लिए इसदिन माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है इस दिन माँ लक्ष्मी को खुश करने के पूजा अर्चना करने के बाद 13 दिये भी जलाने का महत्व है जिससे माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद हमसब पर बना रहता है
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Dhanteras katha pahli baar padhne ko mili thanks.
दिवाली की अच्छी जानकारी शेयर की है आपने। आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
थैंक यू ज्योति मैडम | आपको भी और आपके पूरे परिवार को दिवाली की ढेर सारी मंगलमय शुभकामनाये
Really did not know the mythology behind the celebration and name of “Dhanteras”.
Thanks for sharing, knowledge enriched.
धन्यवाद ज्योतिरमोय,