Short Stories On Grandparents In Hindi
दादाजी के कुर्सी की कहानी
हमारे देश में माता पिता, बडो बूढों को भगवान से बढकर माना गया है, जिनकी सेवा करना हम सभी का कर्तव्य है, ऐसे में बदलते परिवेश के दौर में ये सारे रिश्ते फीके पड़ते जा रहे है, तो बडो की सेवा और इज्जत कैसे करे, इसी सोच पर इस पोस्ट पर दादाजी के कुर्सी की कहानी | Grandfather Table Moral Story बताने जा रहे है, जिनसे हमे बहुत अच्छी शिक्षा मिलती है. तो चलिए इस हिन्दी कहानी दादाजी के कुर्सी की कहानी को जानते है.
दादाजी की कुर्सी एक सीख देती प्रेरक कहानी
Short moral stories in Hindi on Grandfather in Hindi
एक बुढा आदमी जो की अपने बेटे से दूर गाव में रहता था जबकि उस बूढ़े का बेटा, बहु और पोता दूर शहर में रहते थे समय जैसे जैसे बीतता जा रहा था उस बूढ़े आदमी दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था सो उसने अब अपने बेटे के पास रहने के लिए शहर चला गया.
शहर में उसके बेटे का एक बड़ा घर था जिसमे उसका परिवार खुशहाल से जीवन व्यतीत कर रहा था उस बूढ़े आदमी के आ जाने से उस परिवार में कुल 4 सदस्य हो गये थे दिन भर बीतने के बाद बहु बेटा और पोता के साथ वह बुढा आदमी खाने के लिए टेबल पर बैठे, खाने के टेबल पर सब शीशे के बर्तन और और चम्मच थे बहु ने सबको खाना लगा दिया अब सब खाने लगे
लेकिन वह बुढा कमजोर आदमी जो की चम्मच से खाना भी नही उठा पा रहा और जब चम्मच से खाना उठाने की कोशिश कर रहा था शीशे के बर्तन गिरकर फर्श पर चकनाचूर हो गया यह सब देखकर बहु बहुत ही नाराज हो गयी और कहने लगी की आपसे तो खाना भी नही उठता है ऐसे में कभी ये टेबल भी गिरा सकते है जो की इतना महंगा और कीमती है कल से आपका टेबल कोने में लगा देते है और जिससे आप आसानी से खाना खा सकते है
फिर अगले दिन बेटा और बहु ने मिलकर अपने बूढ़े पिता के लिए खाने के लिए लकड़ी की टेबल लाये और उसे कोने में लगा दिया और फिर सबको खाना रोज की तरह निकाला गया घर के सभी सदस्य बड़े टेबल पर आराम से खाना खा रहे थे जबकि समय का मारा वह बुढा आदमी लकड़ी के बर्तन में दिए खाने को चुपचाप अपने बहु बेटे को देखकर खा रहा था लेकिन चाहकर भी उन लोगो को कुछ नही बोल पा रहा था मन ही मन उसकी आखो से आसू निकल रहे थे
यह सब देखकर उस बूढ़े आदमी के पोते को मन ही मन कुछ सोचने लगा था फिर अगले दिन शाम को उसका पोता गार्डन में खेलने चला गया और फिर वहा लकडियो को इक्कठा करके एक जगह बैठ गया और उन लकडियों से कुछ बनाने लगा था इतने में उस लड़के के माता पिता ढूढ़ते हुए बगीचे में आये और अपने बेटे को देखा तो उसकी माँ बोली बेटा यह क्या कर रहा है तो वह लड़का बोला “माँ जब आप लोग बूढ़े हो जायेगे तो आप लोगो को भी खाने के लिए कोने में लकड़ी की कुर्सी की जरूरत पड़ेगी सो मै अभी से आप लोगो के लिए कुर्सी और टेबल बना रहा हु”
अपने बेटे की बात सुनकर उस लड़के के माँ बाप अवाक् रह गये उनके मुह से कोई शब्द नही नही निकल रहा था अबी वे समझ गये गये थे जो हाल इस समय उनके उस बूढ़े बाप का है एक दिन वे भी समय के साथ ऐसे हो जायेगे तो फिर उनके साथ भी यही होंगा
अब उनकी आखे खुल गयी थी और अपने किये पर पछतावा हो रहा था वे तुरंत अपने उस बुड्ढे बाप के पास आये और वे दोनों ने माफ़ी मांग लिया और फिर कोने से कुर्सी को भी हटा दिया और दोनों ने मिलकर अपने अपने हाथो से अपने बूढ़े बाप को खाना खिलाने लगे थे
कहानी से शिक्षा
इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे समय के साथ एक दिन बुढा भी होना है लेकिन अक्सर हम समय के साथ माँ बाप को भूल जा रहे है जरा सोचिये जब हम पैदा हुए थे तो क्या इतने सक्षम थे क्या की अपना सारा काम खुद से करते थे खुद से खाना खाते थे नही ना, लेकिन एक माँ बाप बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चो को अपने से भी ज्यादा ख्याल रखते है उन्हें पाल पोसकर बड़ा करते है और फिर यही सोचते है उनका बेटा उनके बुढ़ापे की लाठी बनेगा उनका सहारा बनेगा
लेकिन चंद खुशियों और पैसो के लिए आज के ज़माने में लोग अपने बूढ़े माँ बाप को युही भुला दे रहे है जरा सोचिये वे आपसे क्या चाहते है कुछ समय उनके साथ भी गुजारिये, उनके कार्यो में थोडा मदद कर दे बस यही चाहते है लेकिन आज के समय में अब हम सब इतना भी नही कर पा रहे है क्यूकी हम सब भूल जाते है हम जैसा करेगे एक दिन वैसा हमारे साथ भी वक्त करेगा
हमे इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है की हम जैसा करेगे वैसा एक दिन वक्त भी हमारे साथ करेगा सो इस दुनिया में माँ बाप की सेवा से बढकर कोई सेवा नही है हम सबका यही फर्ज बनता है की इस सेवा के मौके को कभी हाथ से न जाने दे क्यूकी माँ बाप की जिसने सेवा कर लिया उसने भगवान की सेवा कर ली .
यह छोटी सी कहानी दादाजी के खाने की कुर्सी Grandfather Table Moral Teach Story in Hindi आप सबको कैसा लगा प्लीज कमेंट में बॉक्स में जरुर बताये.
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