Chadar Ki Kimat Moral Stoty in Hindi
चादर की कीमत की कहानी
कहानिया अक्सर हमे सीख देती है तो आज इस पोस्ट में एक ऐसी कहानी चादर की कीमत की हिन्दी कहानी लेकर आये है, जिनसे हमे प्रेरणा मिलती है और अच्छी सीख भी मिलती है की जीवन में भलाई कभी बेकार नही जाती है, तो चलिए इस हिन्दी कहानी चादर की कीमत को अब पढ़ते है.
चादर की कीमत एक शिक्षाप्रद कहानी
Best Moral Story Hindi Chadar Ki Kimat
जनवरी की सर्द भरी रात थी सडक पर चारो तरफ सन्नाटा फैला हुआ था दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था बीच बीच में सिर्फ कुत्तो के भौकने की आवाज़ आती थी जो की सडक की सन्नाटे को बीच बीच में चिर रही थी लेकिन सडक के किनारे बनी झोपडी में वह बूढी माँ अपने बच्चे के साथ किसी तरह उस ठंड से बचने की कोशिश कर रही थी,
लेकिन फटी चादर और झोपडी में से आने वाली सर्द हवाए उस माँ बेटे के जीवन की बार बार परीक्षा ले रही थी वे दोनों जितना ठंड से बचने की कोशिश करते ठंड उतनी ही बढती जा रही थी जिसके कारण उस बूढी माँ से उसका बेटा बोलता माँ क्या हम हमेसा ऐसे ही ठंड से कापते रहेगे क्या हम लोगो के पास अपना पक्का घर और ओढने के लिए कभी चादर नही होगा क्या ?
जिससे यह सब बाते सुनकर उस बूढी माँ का मन ही मन कलेजा काप जाता था लेकिन कभी जीवन से हिम्मत न हारने वाली वह बूढी माँ अपने बेटे को सांत्वना देती की बेटा जब तुम बड़े हो जाओगे तो वो सब हमारे पास होगा जो तुम पाना चाहते हो बस तुम अपने पैरो पर खड़ा हो जाओ और फिर तुम इतना कमाना की चादर की कीमत तुम्हारी कमाई से कम लगे जिससे आसानी से तुम अपने लिए चादर खरीद सकते हो ,
अपनी माँ से यह बाते सुनकर उस बेटे का हिम्मत जोश से भर जाता और फिर मन ही मन सोचता की जरुर एक दिन वह बहुत बड़ा आदमी बनेगा जिससे वह अपने और अपने माँ के लिए चादर खरीदेगा जिससे फिर कभी ठंड से अपनी माँ को और खुद को परेशान नही होना पड़ेगा और इसी सपने को पूरा करने के लिए उस बूढी माँ का बेटा अपने माँ के साथ दिन भर मेहनत मजदूरी करता और मन ही मन सोचता की एक दिन जरुर उसका सपना पूरा होगा.
अपने बेटे के ठंड से परेशान होने की वजह से वह बूढी माँ जहा काम करती थी अगले दिन उस सेठ से जाकर बोली की मुझे एक चादर खरीदने के लिए कुछ पैसे या कोई चादर दे दे, गरीब बूढी माँ की बाते सुनकर सेठ का हृदय पिघल गया और उसने एक चादर दे दिया तो वह बूढी माँ अपने सेठ से चादर की कीमत पूछने लगी तो सेठ बोला जो तुम्हे ठीक लगे और जब तुम्हारे पास पैसे हो तब चादर की कीमत दे देना यह बाते सुनकर वह बूढी औरत मन ही मन अपने सेठ को आशीर्वाद दे रही थी और उसे ये भी चिंता रहती थी की वह वह उस चादर की कीमत कैसे चुकाएगी,
आँखों को खोल देने वाली जीवन में समय के महत्व की कहानी
समय बीतता गया उस बूढी माँ के हाथ पाँव पहले के मुकाबले कमजोर हो गये और वह लड़का बड़ा हो गया जिससे अब वह लड़का अपनी बूढी माँ को काम पर नही जाने देता और खुद को इतना काबिल बना लिया था की वह पढना लिखना जान गया था जिसके कारण उसे उसी सेठ के यहाँ नौकरी मिल गयी वह लड़का अपनी माँ की तरह बहुत ही मेहनती था,
जिससे उसका सेठ भी उस लड़के के काम से प्रभावित होकर उसकी पहली तनख्वाह पर उसके तनख्वाह के साथ उसके लिए एक चादर भेट करनी चाही तो यह सुनकर उस लड़के की आखे भर आई और वह अपने सेठ से बोला की साहब आप जो चादर देना चाहते है उसे मुझे न देकर अगर मेरी माँ को भेट करेगे तो शायद चादर की असली कीमत होंगी क्यूकी अगर आज जिस मुकाम पर मै पंहुचा हु तो शायद इसमें मेरी माँ का ही हाथ है और इसलिए इस चादर को मेरी माँ को भेट करना,
यह सब बाते सुनकर उस सेठ का हृदय गदगद हो उठा और बोला ठीक है अगर तुम्हारी सोच इतनी अच्छी है तो तुम्हारे माँ से मै जरुर मिलुगा तुम कल अपनी माँ के साथ आना और फिर जब अगले दिन वह बूढी औरत अपने बेटे के साथ उस सेठ के पास गयी तो तुरंत उसने अपने सेठ को पहचान लिया और सेठ द्वारा दिए गये पहले चादर की कीमत देने की बात याद आ गयी और फिर जब सेठ उस बूढी औरत को चादर देने लगा तो उसके आँख से आसू छलक आये और वह बोली की मै अभी पहले दी हुई ही चादर की कीमत आपको दे नही पायी हु अब भला इस चादर की कीमत कैसे चुकाऊगी.
तो यह बाते सुनकर उस बूढी औरत को तुरंत पहचान गया और कहा की मेरे दिए हुए पहले चादर की कीमत तो मुझे तुम्हारे होनहार बेटे के रूप में मिल गया है जो की शायद चादर की कीमत से कही ज्यादा है यह बाते सुनकर उस बूढी माँ की आखे भर आई थी और शायद आज पहली बार उसे अपने चादर की कीमत का पता चल गया था जो की कही न कही उसके जिन्दगी में ख़ुशी लेकर आई थी.
कहानी से शिक्षा
अक्सर हर इन्सान की शुरुआत दुखो से ही होता है लेकिन जो लोग अपने कर्म पर अडिग रहते है और जिनके मन में यह विश्वास होता है की एक दिन उनका वक्त जरुर बदलेगा उन्ही लोगो के जीवन में खुशियों का बदलाव देखने को मिलता है शायद जब हम अपने दुखो की हालत में होते है तो किसी चीज का वास्तविक मोल पता होता है,
लेकिन उस दुःख के पलो की कोई कीमत नही होती है क्यूकी दुःख में किया गया मदद हमेशा सुखो की ही नीव होती है और जो लोग अपने दुखो से सम्भल जाते है वही लोग सुख के अधिकारी होते है इसलिए जीवन में चाहे कितनी भी विप्प्ती क्यू न आये लेकिन कभी भी हमे सच्चे कर्मपथ को नही छोड़ना चाहिए यही हमारे सच्चे कर्म हमारे सुखो की शुरुआत होते है.
तो आप सबको यह चादर की कीमत moral stories in Hindi कैसा लगा, कमेंट में जरुर बताये और इस कहानी को शेयर भी जरुर करे.
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राकेश जी नमस्कार। आज पहली बार आपकी वॉल पर आई हूं। बेहद ही सुंदर व शिक्षाप्रद कहानियां लिखी हैं आपने। बधाई आपको।
Thank You टीना शर्मा माधवी