HomeHindi Storiesआत्मसम्मान की भावना कहानी जिनसे मिले जीवन की सीख

आत्मसम्मान की भावना कहानी जिनसे मिले जीवन की सीख

Self Respect Story in Hindi

आत्मसम्मान की भावना कहानी

हर किसी का खुद के अंदर एक आत्मसम्मान की भावना होती है, जो इंसानों को क्या करना होता है, खुद से अंतरात्मा से प्रेरणा मिलती है, तो आईये आज एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है, जो की खुद के आत्मसम्मान को दिखाती है, तो चलिए आत्मसम्मान के भाव की इस आत्मसम्मान की भावना कहानी – Self Respect Story in Hindi को जानते है.

आत्मसम्मान की भावना अच्छी कहानी

Self Respect Hindi Kahani

Self Respect Story in Hindiरामू बहुत ही गरीब लड़का था उसके माता पिता की पूरी जिन्दगी हमेशा गरीबी में ही बीती जिसके चलते रामू की पढाई लिखाई नही हो पायी रामू के माँ बाप बहुत ही बूढ़े और गरीबी से लाचार थे जिसके चलते रामू अपने माँ बाप की आर्थिक सहायता के लिए वह शहर के एक सडक के किनारे जूते पॉलिश किया करता था जिससे उसकी थोड़ी बहुत ही आमदनी हो जाती है जिसके चलते उन कमाए पैसे से रामू का घर चलता था.

रामू बचपन से ही बहुत मेहनती और ईमानदार था वह शहर के बड़े बड़े इमारतो को देखता था उसे भी लगता था की उसकी भी गरीबी एक दिन जरुर खत्म होगी और वह अपने माता पिता की अच्छी जिन्दगी जीने में सहायता करेगा यही सब सोचकर रामू अपने अपने जूते पॉलिश की दूकान पर खूब मेहनत करता था लेकीन वह कभी भी अपने ग्राहकों से अपने मेहनत के पैसो से ज्यादा पैसा कभी नही लेता था जिसके चलते उसके दूकान पर खूब भीड़ होती थी सभी रामू के व्यवहार से खुश रहते थे.

एक दिन की बात है रोज की तरह आज भी रामू अपने घर से अपने दुकान के लिए जल्दी से निकल गया और फिर अपना दूकान खोलकर ग्राहकों की प्रतीक्षा करने लगा इसी बीच उसके दूकान के पास एक बड़ी सी गाडी आकर रुकी और उस गाडी में से एक कोट वाले साहब निकले जो की रोज की तरह अपने ऑफिस जा रहे थे सो उन्होंने रामू के पास बोला की मेरे जूते खूब अच्छे से चमका दो क्यू की आज हमारे कम्पनी में बहुत बड़ी मीटिंग है.

तो रामू भी फटाफट उन साहब के जूते पॉलिश कर दिया जिससे खुश होकर उस साहब ने 500 रूपये का नोट थमाया लेकिन रामू के पास तो इतने पैसे कभी एक साथ इक्कठे भी नही हुए थे और न ही रामू के पास उस समय छुट्टे पैसे भी थे की वह अपने पैसे काटकर बाकि पैसे लौटा सके.

तो यह बात रामू उस साहब से बताया की की उसके पास तो छुट्टे पैसे नही है तो वह साहब थोडा जल्दी में थे बोले की अभी तो मेरे पास भी छुट्टे पैसे नही है इसलिए तुम पूरे पैसे को ले लो.

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तो रामू तुरंत बोल पड़ा साहब हम गरीब जरुर है लेकिन मेहनत करके पैसा कमाना चाहते है अगर आप ने मुझे एक बार इन पैसो को दे दिया तो हमे यह पैसा कमाने का तरीका तो आसान लग सकता है लेकिन यह ठीक नही है इससे हर कोई मेहनत करना ही छोड़ देंगा लोग बस दुसरो के अहसान के बदले जीना सीख जायेगे और मै ऐसा नही चाहूँगा सो आप इन पैसो को वापस रख लीजिये और जब अगली बार आना तो मेरे जितने पैसे बनते है उतना दे देना.

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यह बात सुनकर उन साहब की आखे खुल गयी और मन ही मन सोचने लगे की हमने इस लड़के की आत्मसम्मान की भावना को ठेश पंहुचा दिया है इसलिए वे साहब रामू से बोले बेटा तुम अपनी परिस्थिति से गरीब जरुर हो लेकिन अपने आत्मसम्मान की भावना से अमीर हो इसलिए हमे माफ़ करना और इस प्रकार रामू ने अपने कार्यो से एक इन्सान का दिल बदल दिया और फिर वे साहब बार बार यही सोचते रहे की वे अमीर है या वो गरीब लड़का रामू जो गरिब होते भी दिल से अमीर है.

कहानी से सीख –

दोस्तों गरीबी एक ऐसी चीज है जिसे इन्सान के जीवन में कभी न कभी जरुर रहता है लेकिन अगर हम गरीब होते हुए भी अपनी आत्मसम्मान की भावना को कभी भी कम नही होने देना चाहिए क्यू की आत्मसम्मान ही एक ऐसी चीज है जो की इन्सान के इन्सान होने का अहसास कराती है.

हो सकता था रामू अपनी गरीबी की परवाह करते हुए साहब के दिए हुए पैसो को ले लेता लेकिन अगर वह उन पैसो को एक बार ले लेता तो जिन्दगी भर उसे उस साहब के अहसानतले रहना पड़ता लेकिन रामू ने अपनी मेहनत और ईमानदारी को हमेशा आगे रखा जिसके चलते वह लोगो का दिल जितने में सफल रहा.

यह कहानी हमे यही सिखाती है की हम अपने जीवन में चाहे कितनी ही कठिन दौर से क्यू न गुजर रहे हो लेकिन कभी भी अपने आत्मसम्मान की भावना को कभी नही खोना चाहिए क्यू की अगर हमने अपना एक बार आत्मसम्मान की भावना को खो दिया तो हो सकता है की हमे फिर लोगो के अहसानों के तले अपनी जिन्दगी गुजारनी पड़े.

आप सबको यह आत्मसम्मान की भावना की हिंदी कहानी कैसा लगा प्लीज हमे जरुर बताये.

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