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ज्ञान और मनोरंजन का संगम अच्छी सीख देती हिन्दी की कहानिया

Best Kahani Hindi Mein

अच्छी सीख देती हिन्दी की कहानिया 

अगर आप इंटरनेट पर Kahani Hindi Mein ( कहानी हिंदी में ) सर्च कर रहे है, तो आप सही जगह पर है, यहा आपको Best Kahani In Hindi (कहानी हिंदी में ) शेयर कर रहे है, तो चलिये Kahani In Hindi (कहानी हिंदी में) अब शेयर कर रहे है, जिससे इन हिन्दी कहानी से आपको काफी कुछ सीखने को मिलेगा।

बुद्दि का महत्व की कहानी

Hindi Kahani in Hindiएक बार की बात है, एक बहुत ही बुद्धिमान राजा था। उसका काफी बड़ा साम्राज्य था। उसके राज्य में प्रजा हर तरह से खुशहाल थी। राजा को अपने उत्तराधिकारी की तलाश थी।

यद्यपि उस राजा के तीन बेटे थे। लेकिन राजा नही चाहता था की पुरानी परंपरा को वह भी दोहराए और सबसे बड़े बेटे को ही गद्दी पर बिठाया जाए। बल्कि वह सबसे बुद्धिमान और काबिल बेटे को सत्ता सौंपना चाहता था।

इसलिए राजा ने उत्तराधिकारी के लिए तीनों की परीक्षा लेने का फैसला किया।

एक दिन राजा ने तीनों बेटों को अलग-अलग दिशाओं में भेजा। उसने हर बेटे को सोने का एक-एक सिक्का देते हुए कहा, कि वे इसे ऐसी चीज खरीदें, जो पुराने महल को भर दे।

पहले बेटे ने सोचा कि पिता तो सठिया चुके हैं। इस थोड़े से पैसे से इस महल को किसी चीज से कैसे भरा जा सकता है। इसलिए वह एक मयखाने में गया, शराब पी और सारा पैसा खर्च डाला।

राजा के दूसरे बेटे ने इससे भी आगे सोचा। वह इस नतीजे पर पहुंचा कि शहर में सबसे सस्ता तो कूड़ा कचरा ही है। इसलिए उसने महल को कचरे से भर दिया।

तीसरे बेटे ने दो दिन तक इस पर चिंतन मनन किया  कि महल को सिर्फ एक सिक्के से कैसे भरा जा सकता है। वह वाकई कुछ ऐसा करना चाहता था, जिससे पिता की उम्मीद पूरी होती हो।

उसनें मोमबत्तियां और लोबान की बतियां खरीदी और फिर पूरे महल को रोशनी और सुगंध से भर दिया। इस तीसरे बेटे की बुद्धिमानी से खुश होकर राजा ने उसे अपना उत्तराधिकारी बनाया।

इस हिंदी कहानी से हमें यह सीख मिलता है कि बुद्धि से कुछ भी पाया जा सकता है .

किसान और चट्टान की कहानी

एक किसान था,  वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था. उस खेत के बीचो-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और ना जाने कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे.

रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा पर जो सालों से होता आ रहा था एक वही हुआ, एक बार फिर किसान का हल पत्थर से टकराकर टूट गया.

किसान बिल्कुल क्रोधित हो उठा, और उसने मन ही मन सोचा की आज जो भी हो जाए वह इस चट्टान को ज़मीन से निकाल कर इस खेत के बाहर फ़ेंक देगा.

वह तुरंत भागा और गाँव से 4 – 5 लोगों को बुला लाया और सभी को लेकर वह उस पत्त्थर के पास पहुंचा .

किसान बोला , ” ये देखो ज़मीन से निकले चट्टान के इस हिस्से ने मेरा बहुत नुक्सान किया है, और आज हम सभी को मिलकर इसे जड़ से निकालना है और खेत के बाहर फ़ेंक देना है.”

और ऐसा कहते ही वह फावड़े से पत्थर के किनार वार करने लगा, पर ये क्या ! अभी उसने एक-दो बार ही मारा था की पूरा-का पूरा पत्थर ज़मीन से बाहर निकल आया. साथ खड़े लोग भी अचरज में पड़ गए और उन्ही में से एक ने हँसते हुए पूछा ,” क्यों भाई , तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच में एक बड़ी सी चट्टान दबी हुई है , पर ये तो एक मामूली सा पत्थर निकला ??”

किसान भी आश्चर्य में पड़ गया सालों से जिसे वह एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था दरअसल वह बस एक छोटा सा पत्थर था !! उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता तो ना उसे इतना नुक्सान उठाना पड़ता और ना ही दोस्तों के सामने उसका मज़ाक बनता .

कहानी से सीख – हम सभी अपने जीवन मे भी इस किसान की तरह ही हम भी कई बार ज़िन्दगी में आने वाली छोटी-छोटी बाधाओं को बहुत बड़ा समझ लेते हैं और उनसे निपटने की बजाये तकलीफ उठाते रहते हैं. ज़रुरत इस बात की है कि हम बिना समय गंवाएं उन मुसीबतों से लडें , और जब हम ऐसा करेंगे तो कुछ ही समय में चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी जिसे हम आसानी से ठोकर मार कर आगे बढ़ सकते हैं.

बंदर और गिलहरी दोस्ती की कहानी

बहुत समय पहले की बात है । किसी एक जंगल में एक बंदर और गिलहरी रहते थे। एक दिन बंदर पेड़ पर बैठा था। उसकी पूँछ बहुत लंबी थी । इतनी लंबी थी कि वह जमीन तक लटक रही थी।

बंदर मजे से पेड़ पर बैठा था। गिलहरी जमीन पर उछल–कूद कर रही थी। तभी उसे लटकती पूँछ दिखाई दी। वह पूंछ पर चढ़ गई और झूलने लगी। उसे बड़ा मजा आ रहा था।

गिलहरी के झूलने से बंदर को गुदगुदी होने लगी । उसने नीचे की ओर देखा। उसे पूँछ पर गिलहरी दिखाई दी।

वह हँसकर बोला- “गिलहरी! तुम मेरी पूँछ पर क्यों झूल रहो हो? मुझे गुदगुदी हो रही है।”

गिलहरी ने यह सुनकर ऊपर की ओर देखा। उसे बंदर दिखाई दिया। वह बोली- बंदर महाराज! यह आप हो? मैंने तो पूँछ को झूला समझा था।

मैं तो झूला झूल रही थी। मुझे इसमें बड़ा मज़ा आ रहा था।

यह सुनकर बंदर हँसने लगा। गिलहरी भी पूँछ को छोड़कर पेड़ की डाली पर चढ़कर बंदर के साथ बैठ गई और दोनों की गहरी दोस्ती हो गई। इस तरह प्रेम से रहने के कारण एक दूसरे के सुख का कारण बन गए।कहानी से सीख- हमें आपस में हमेशा प्रेम से रहना चाहिए।

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