ईश्वर ने हम सभी इंसानों को कोई न कोई विशेष गुण देकर बनाया है लेकिन मानव अपना खुद का अस्तित्व भूलते हुए सदैव अपनी तुलना दुसरो से करने लगता है जिससे हमारे खुश होते हुए भी अकारण मन में दुःख की भावना का जन्म होता है जिस कारण से हम खुद को दुसरो की तुलना में कमतर आकने लगते है और यही हमारी सोच हम सभी को गलत भावना की तरफ ले जाता है इसलिए हम जो कुछ भी है वह ईश्वर की कृपा से ही है इसलिए हमे कभी भी इन व्यर्थ की बातो में न पड़कर खुद को दुखी नही करना चाहिए.
तो चलिए इसी सोच पर आधारित आज हम आप सबको Moral Story कौवा और मोर के ख़ुशी की कहानी (Moral Story in Hindi) बताने जा रहे है जिनसे हमे बहुत बड़ी सीख मिलती है.
कौवा और मोर के ख़ुश रहने की कहानी
Kauwa aur Mor ki Kahani with Moral in Hindi
एक कौवा जंगल में रहता था और जीवन में बिल्कुल संतुष्ट था । लेकिन एक दिन उसने एक हंस देखा और फिर उसने सोचा “यह हंस इतना सफेद है और मैं बहुत काला हूँ यह हंस दुनिया में सबसे खुश पक्षी होंगा”
फिर कौवे ने हंस से मिलकर अपने मन की बात बताई तब हंस ने जवाब दिया, “असल में मुझे भी लगा था कि मैं तब तक सबसे खुश पक्षी था जब तक कि मैंने तोता नही देखा था लेकिन तोता जिसमें दो रंग हैं अब मुझे लगता है कि तोते बनावट में सबसे खुश पक्षी है तुम्हे उस तोते से इसके लिए मिलने चाहिए”
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यह सुनकर कौवा ने तोते से मिलने गया, फिर तोते से मिलने के बाद इस बात पर तोता ने समझाया की “जब तक मैंने एक मोर नही देखा था तब तक मैं बहुत खुशहाल जीवन जीता था और मेरे पास केवल दो रंग हैं लेकिन मोर के पास तो कई रंग हैं जो मुझसे कही ज्यादा खुश है तुम्हे तो मुझसे ज्यादा ख़ुशी वाले प्राणी मोर से मिलना चाहिए”.
फिर तोते की बात को मानते हुए कौवा मोर से मिलने चिड़ियाघर में चला गया और वहा देखा कि सैकड़ों लोग उस मोर को देखने के लिए इकट्ठे हुए थे लोगों के जाने के बाद कौवा ने मोर से बात की और कहा की “प्रिय मोर तुम बहुत सुंदर हो तुमको तो हर दिन हजारों लोग आपको देखने के लिए आते हैं जबकी लोग मुझे देखते हैं तो वे तुरंत मुझे दूर चले जाते हैं या मुझे मारकर दूर भगाते है मुझे लगता है कि आप इस धरती पर सबसे खुश पक्षी हैं”.
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कौवे की यह बात सुनकर मोर ने जवाब दिया “मैंने हमेशा सोचा था कि मैं इस धरती पर पर सबसे सुंदर और खुश पक्षी था लेकिन मेरी सुंदरता के कारण मैं इस चिड़ियाघर में फंस गया हूँ मैंने चिड़ियाघर की बहुत सावधानी से जांच की है, और मुझे एहसास हुआ है कि कौवा एकमात्र पक्षी है जो पिंजरे में नहीं रखा जाता है तो पिछले कुछ दिनों से मैं यही सोच रहा था कि अगर मैं एक कौवा होता तो मैं अपनी खुशी से हर जगह घूम सकता हु कही भी आ जा सकता हु लेकिन इस मामले में तुम मुझसे कही ज्यादा इस धरती पर सुखी प्राणी हो “.
मोर की बात को सुनकर कौवे को अब अपनी बात का जवाब मिल गया था की हम जो भी जैसे भी होते है अच्छे ही होते है बस दुसरो को देखकर लगता है की वह हमसे ज्यादा खुश है लेकिन ऐसा खुश नही है और इसके बाद कौवा ख़ुशी ख़ुशी फिर जंगल की तरफ उड़ गया.
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कहानी से शिक्षा
कौवा और मोर के ख़ुश रहने की कहानी से हमे क्या सीख मिलती है.
कौवा और मोर की तरफ हम इंसानों की भी यही समस्या है की हम दूसरों के साथ अनावश्यक तुलना करते हैं और दुखी हो जाते हैं भगवान ने हमें जो कुछ दिया है उसका हम मूल्य नहीं मानते हैं यह सब ऐसा सोचना हमारे दुखो का कारण बनता है.
जबकि आपके पास जो कुछ नहीं है उसे देखने के बजाय आपके पास जो कुछ है उसके बारे में खुश रहना सीखना चाहिए और जो व्यक्ति अपनी पास की चीजो से संतुष्ट होता है वही व्यक्ति दुनिया का सबसे खुश व्यक्ति होता है इसलिए हमे दुसरो से तुलना करने के बजाय खुद की चीजो पर ध्यान देना ही बेहतर होता है.
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