छठ पूजा के शुभ अवसर पर छठ पूजा व्रत, Chhath Puja Essay in Hindi, Essay on Chhath Puja in Hindi, Chhath Puja History in Hindi, छठ पूजा पर निबंध, छठ पूजा विधि, छठ पूजा इतिहास, छठ पूजा व्रत कथा, छठ पूजा के नियम, और छठ पूजा का महत्व (Chhath Puja Ka Mahatva) को जानते है.
छठ पूजा (Chhath Puja) हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में मनाया जाने वाला हिन्दुओ का एक विशेष त्यौहार है जो की अधिकतर पूर्वी भारत के लोगो का एक प्रमुख पर्व है अक्सर कहा जाता है की लोग चढ़ते हुए सूर्य को सलाम करते है लेकिन छठ पूजा (Chhath Puja) के त्योहार की ऐसी महिमा है की जिसमे उगते हुए और डूबते हुए सूर्य की आराधना की जाती है जो की अपने आप में एक अनोखा पर्व है जो की मानव को प्रकृति से सीधे रूप से जोडती है छठ पूजा में सूर्य देव की आराधना किया जाता है जिसमे सम्पूर्ण परिवार के मंगल की कामना की जाती है और लोगो का मानना है की सूर्य देव की पूजा करने से सूर्य के तेज से मानव रोग एंव कष्ट मुक्त होता है.
छठ पूजा पर्व
Chhath Puja Essay in Hindi
भारत त्योहारो का देश है, हमारे देश मे हिन्दू धर्म मे हर दिन का अपना महत्व होता है, इन्ही त्योहारो मे छठ पूजा का त्योहार भी एक विशेष व्रत त्योहार है, जो की छठ पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है, जो की यह त्योहार दिवाली से अगले ठीक छठवे दिन पड़ता है, जो की छठ पुजा के नाम से जाना जाता है, जिसे छठ, सूर्य व्रत, उषा पूजा, छठी प्रकृति माई के पूजा, छठ पर्व, डाला छठ, डाला पूजा, सूर्य षष्ठी अन्य नामो से भी जाना जाता है।
यह उत्तरी पूर्वी भारत मे प्रमुखता से मनाया जाता है, लेकिन दूरसंचार क्रान्ति के बाद छठ पुजा व्रत का त्योहार की प्रसिद्धि पूरे देश मे फैल चुकी है, इस तरह छठ पुजा अब पूरे भारत मे छठ पुजा मनाया जाने लगा है।
छठ पूजा व्रत के त्योहार मे उगते हुए और डूबते हुए सूर्य की आराधना की जाती है जो की अपने आप में एक अनोखा पर्व है जो की मानव को प्रकृति से सीधे रूप से जोडती है, छठ पूजा में सूर्य देव की आराधना किया जाता है जिसमे सम्पूर्ण परिवार के मंगल की कामना की जाती है और लोगो का मानना है की सूर्य देव की पूजा करने से सूर्य के तेज से मानव रोग एंव कष्ट मुक्त होता है.
छठ पूजा कब कब मनाया जाता है
Chhath Puja Kab Manaya Jata Hai
छठ पूजा साल में दो बार मनाया जाता है
1 – चैत्र की छठ पूजा 2 – कार्तिक की छठ पूजा
जिसमे कार्तिक महीने की छठ पूजा का विशेष महत्व है यह छठ पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में षष्ठी को मनाया जाता है जो की मुख्यत 4 दिनों का त्योहार है छठ पूजा को डाला छठ, छठी माई के पूजा, डाला पूजा और सूर्य षष्ठी पूजा के नाम से भी जाना जाता है
छठ पूजा क्यों मनाया जाता है
Chhath Puja Kyo Manaya Jata Hai
अक्सर जो लोग छठ पूजा के बारे में नही जानते है उनके द्वारा यह जरुर सोचा जाता है की आखिर छठ पूजा क्यों मनाया जाता है हिन्दू धर्म के अनुसार प्रकृति की पूजा का विशेष प्रावधान है हमे ईश्वर को विभिन्न रूपों में मानकर उनकी पूजा अर्चना करते है पूरे ब्रह्माण्ड को रोशनी सूर्य से ही प्राप्त होता है और सूर्य के किरणों के तेज से ही इस धरती पर दिन रात सम्भव है,
जिसके कारण हिन्दू धर्म में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है जिस कारण छठ पूजा के माध्यम से लोग डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ देते है और सभी लोग स्वस्थ रहे ऐसी सूर्यदेव से मंगल कामना करते है छठ पूजा की इसी विशेष महिमा के कारण लोग संतान प्राप्ति हेतु भी इस छठ पूजा का व्रत रखते है और लोगो का मानना है की छठ पूजा करने से माँ छठी प्रसन्न होती है और लोगो को सन्तान सुख की प्राप्ति होती है.
छठ पूजा व्रत
Chhath Puja Vrat in Hindi
छठ पूजा लगातार 4 दिनों चलने वाला महापर्व है जिसमे महिलाये, पुरुष, बच्चे सभी सम्मिलित रूप से भाग लेते है छठ पूजा व्रत मुख्यत महिलायों द्वारा किया जाता है जो की अपने आप में एक कठिन व्रत है महिलाओ के अलावा पुरुष भी इस व्रत का पालन करते है इस व्रत में महिलाए लगातार 4 दिन का व्रत रखती है,
जिसके दौरान इन दिनों में ये महिलाये जमीन के फर्श पर ही चटाई या चादर के सहारे सोती है चूकी यह पर्व साफ़ सफाई का पर्व है जिसमे साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है व्रत के दौरान नये वस्त्र धारण किये जाते है जो की सिली हुई नही होती है इस तरह महिलाये इन दिनों साड़ी या धोती के वस्त्र ही धारण करती है.
अक्षय तृतीया पर्व पर निबंध Akshaya Tritiya Essay in Hindi
छठ पूजा व्रत महिलाओ द्वारा पुत्र रत्न प्राप्ति की कामना से की जाती है जबकि कुछ लोग अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु इस व्रत का पूरी निष्ठा के साथ पालन करते है.
छठ पूजा का इतिहास
Chhath Puja History in Hindi
भारतीय संस्कृति में ऋग वैदिक काल से सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य एक ऐसे देवता है जिनका साक्षात् रूप से दर्शन किया जाता है सम्पूर्ण जगत सूर्य के प्रकाश से ही चलायमान है पेड़ पौधों के जीवन के अस्तित्व से लेकर दिन, रात, धुप, छाव, सर्दी, गर्मी, बरसात सभी सूर्य द्वारा ही संचालित होता है जिस कारण सूर्य को आदिदेव भी कहा जाता है जिस कारण से हिन्दू धर्म में सूर्य देव की विशेष पूजा अर्चना उपासना का महत्व है.
छठ पूजा को लोक आस्था का पर्व भी कहा जाता है यह दीपावली के बाद ठीक छठवे दिन पड़ता है छठ पूजा कर अनेक लोक कथाये एंव कहानिया प्रचलित है जो इस प्रकार है.
छठ पूजा की पौराणिक कहानिया एंव रोचक तथ्य
Chhath Puja Ki Kahani in Hindi
छठ पूजा मनाने के पीछे कई पौराणिक एंव लोक कथाये है जो इस प्रकार है.
1 – रामायण काल में जब श्रीराम लंका विजय होकर वापस अयोध्या लौटे थे तब अपने राज्य में रामराज्य की स्थापना हेतु इस दिन भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता के साथ व्रत किया था और सूर्यदेव की विधिवत पूजा अर्चना किया था और फिर अगले अगले दिन सूर्योदय के समय सूर्य की पूजा करके इस व्रत का पालन करके सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था जिसके चलते लोकमंगल कल्याण हेतु इस व्रत का आयोजन लोगो द्वारा होने लगा.
2 – महाभारत काल के अनुसार जब कुंती अविवाहित थी तब एक सूर्य देव का अनुष्ठान किया था जिसके फलस्वरूप उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी जिन्हें कर्ण के नाम से जाना जाता है लेकिन लोकलाज के भय से कुंती ने इस पुत्र को गंगा में बहा दिया था सूर्य के वरदान से उत्पन्न कर्ण भी सूर्य के समान तेज और अत्यधिक बलशाली भी थे जिसके चलते आगे चलकर लोग ऐसे सूर्य के समान पुत्र की कामना हेतु सूर्य उपासना और पूजा करने लगे.
2022} Happy Diwali Anmol Vichar Vachan Suvichar शुभ दिवाली के अनमोल विचार वचन सुविचार
एक अन्य मान्यता के अनुसार सूर्य से जन्मे कर्ण सुबह शाम सूर्य की घंटो जल में रहकर पूजा उपासना किया करते थे जिसके कारण उनके जीवन पर सूर्यदेव की हमेसा से विशेष कृपा रही जिस कारण लोग सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस छठ पूजा का आयोजन करने लगे.
अन्य कथाओ के अनुसार जब पांडव जुए में सबकुछ हारकर जंगल में निवास करने लगे तब अपने राज्य और सुख की प्राप्ति के लिए भी द्रौपदी ने माता कुंती के साथ सूर्य पूजा करती थी जिसका मुख्य उद्देश्य अपने परिवार की लम्बी आयु और स्वास्थ की कामना थी.
छठ पूजा की कथा
Chhath Puja Katha in Hindi
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार प्राचीन काल में प्रियवद नाम के एक राजा थे जिनकी कोई भी सन्तान नही थी तब महर्षि कश्यप के आदेशानुसार राजन ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया था यज्ञ आहुति से तैयार खीर को उनकी पत्नी मालिनी को दिया गया जिसके कारण इस खीर खाने के बाद राजन को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई,
लेकिन जो पुत्र पैदा हुआ था वह मृत था जिसके कारण वह राजा बहुत दुखी हुए और अपने पुत्र की अंतिम संस्कार के लिए शमशान ले गये जहा राजा ने अपने पुत्र के चिता पर भष्म होकर अपना जान देना चाहा तभी वहा ईश्वर की पुत्री देवसेना प्रकट हुई,
20221} Happy Diwali Wishes Hindi | Deepavali Wishes | दिवाली शुभकामनाये
और कहा की “हे राजन मै इस प्रकृति की मूल प्रवृत्ति के छठवे अंश से उत्प्प्न हुई हु जिस कारण मै षष्ठी कहलाती हु अतः आप लोग यदि पुत्र की कामना करते है तो अप मेरी पूजा करे तभी आपको फिर से पुत्ररत्न की प्राप्ति होंगी जिसके बाद राजन से षष्ठी देवी की विधिवत पूजा अर्चना किया जिसके बाद राजन को फिर से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई चूकी यह पूजा कार्तिक महीने के षष्ठी के दिन हुआ था जिसके चलते आगे चलकर छठ पूजा होने लगा.
छठ पूजा विधि
Chhath Puja Vrat Vidhi in Hindi
छठ पूजा का त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है जिसके हर दिन का अपना महत्व है जो इस प्रकार है.
1 :– नहाय खाय –
छठ पूजा के पहले दिन यानी कार्तिक महींने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी को नहाय खाय के नाम से भी जाना जाता है इस दिन पूरे घर को साफ़ सुथरा करके शुद्ध करके पूजा के योग्य बनाया जाता है इस दिन जो लोग व्रत रखते है वे सबसे पहले स्नान करके नये वस्त्र धारण करके इस व्रत की शुरुआत करते है व्रत करने वाले के शाकाहारी भोजन खाने के बाद ही घर के अन्य सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते है शाकाहारी भोजन में कद्दू और चने की दाल तथा चावल विशेष रूप से महत्व है.
2 :- लोहंडा और खरना –
इस व्रत के दुसरे दिन यानी पंचमी के दिन पूरे दिन व्रत रखने के पश्चात शाम को व्रती भोजन ग्रहण करती है जिसे खरना कहा जाता है खरना का मतलब होता है पूरे दिन पानी की एक बूंद भी पिए बिना व्रत रहना होता है फिर शाम को चावल और गुड़ से खीर बनाया जाता है जिसमे चावल का पिठ्ठा और घी की चुपड़ी रोटी भी बनायीं जाती है इस खाने में नमक और चीनी का प्रयोग नही किया जाता है और इसे प्रसाद के रूप से आस पास के लोगो को भी बाटा जाता है.
3 :- संध्या अर्घ्य –
छठ पूजा का यह विशेष दिन होता है कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के षष्ठी के दिन यानी पूजा के तीसरे दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है प्रसाद के रूप में ठेकुआ का विशेष महत्व है भारत के कुछ भागो में इसे टिकरी और अन्य नामो से भी जाना जाता है इसके अलावा चावल के लड्डू भी बनते है फिर शाम को पूरी तरह तैयारी करने के बाद इन प्रसादो और पूजा के फलो के बांस के टोकरी में सजाया जाता है.
होली रंगों का त्यौहार पर विशेष जानकारी Holi Essay in Hindi
और इस टोकरी की पूजा करने के बाद घर के सभी सदस्यों के साथ जो व्रत रहते है वे सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तालाबो, नदियों या घाटो पर जाते है फिर व्रती पानी में स्नान करके डूबता हुए सूर्य की विधिवत पूजा करके सूर्य को अर्घ्य देती है इस मनोहर दृश्य को देखने लायक होता है जिसके कारण घाटो पर अत्यधिक भीड़ लग जाती है.
4 :- उषा अर्घ्य –
छठ पूजा के चौथे दिन यानी सप्तमी के दिन जैसे लोग डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते है ठीक उसी प्रकार पूरे परिवार के साथ उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दी जाती है और विधिवत पूजा पाठ करने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है और इस प्रकार इस छठ पूजा का समापन किया जाता है.
छठ पूजा के नियम
Chhath Puja ke Niyam
चुकी छठ पूजा का पर्व बहुत ही साफ़ सफाई का पर्व है यह बहुत ही कठिन और परीक्षा का व्रत होता है इसलिए 4 दिनों के दौरान घरो में लहसुन प्याज तक नही खाए जाते है और जो लोग व्रत रखते है उन्हें घर में एक ऐसा कमरा दिया जाता है जहा पर पूरी तरह से शांति रहे जिससे व्रत रखने वाला ईश्वर में ध्यान लगा सके और जो लोग छठ पूजा का व्रत रखते है उनके मन में किसी भी प्रकार का लालच, मोह भय आदि नही रखनी चाहिए.
सावन माह का महत्व और शिव पूजा पर विशेष निबन्ध Sawan Shiv Puja Essay
छठ पूजा का महत्व
Chhath Puja Ka Mahatva in Hindi
छठ पूजा का अपने आप में एक विशेष महत्व है पहले यह त्योहार भारत के पूर्वी भागो यानि उत्तर प्रदेश और बिहार तक ही सिमित था लेकिन जैसे जैसे सूचना के क्षेत्र में क्रांति आई है इस पर्व का प्रसार पूरे भारत, नेपाल जैसे दूर देशो तक फैलता जा रहा है इस पर्व की ऐसी मान्यता भी की जो लोग भी इस छठ पूजा के व्रत का विधिवत पालन करते है उन्हें कभी भी संतान सुख से अछूते नही रहते है और उनका शरीर स्वस्थ्य और निरोगी होता है.
सरस्वती पूजा पर निबन्ध Vasant Panchami Saraswati Puja 2021 Essay Hindi
कहा जाता है की इस व्रत को निरंतर करने से हमारे जीवन में सुख शांति की प्राप्ति होती है और हमारे जीवन की आयु भी स्वस्थ्य और लम्बी होती है जिस कारण से इस छठ महापर्व का महत्व बहुत तेजी से लोगो में बढ़ता जा रहा है.
तो आप सभी को छठ पूजा की ढेर सारी मंगलमय शुभकामनाये. खुशियों का त्योहार आया है
सूर्य देव से सब जगमगाया है
खेत खलिहान धन और धान
यूँ ही बनी रहे हमारी शान
छठ पूजा की शुभकामनाएँ
Happy Chhath Puja to All
तो आप सभी को छठ पूजा पर लिखा गया यह लेख छठ पूजा पर्व विधि इतिहास और महत्व Chhath Puja Festival Essay in Hindi कैसा लगा प्लीज हमे जरुर बताये और यदि कोई जानकारी त्रुटिपूर्ण या अपूर्ण हो तो हमे कमेंट बॉक्स के जरिये जरुर बताये.
To Respected Owner:- बहुत बहुत धन्यावाद छठ माता के बारे मे महत्वपूर्ण इन्फोर्मेशन को हमसे शेयर करने के लिए.