राखी पर हिन्दी निबन्ध
Brother Sister’s Relationship Festival Essay Nibandh in Hindi
रक्षाबंधन भारत देश में हिन्दू धर्म में एक बहुत बड़ा त्योहार है यह Raksha Bandhan भाई बहन के प्रेम के प्रतिक का त्यौहार है वैसे तो भारत देश में अनेक त्यौहार मनाये जाते है सबका अपना अपना महत्व है,
इन त्योहारो में रक्षाबंधन का विशेष महत्व है क्यूकी इस दिन हर भाई अपने बहन की रक्षा का प्रण लेता है और हर बहन जीवन भर अपनी भाई के ख़ुशी और दीर्घायु होने की कामना करती है जिस कारण रक्षाबंधन के त्योहार को भाई बहन के प्यार का त्योहार भी कहा जाता है, तो इस Raksha Bandhan के पावन त्यौहार पर निबन्ध दे रहे है.
तो इस रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर हर भाई बहन इस त्योहार को अच्छे से मनाते है, और बहन की यही कामना होती है, की उसका भाई हमेसा अपने बहन की रक्षा करे, और भाई चाहता है, की अपने बहन से हमेसा प्रेम बना रहे है, जिसके लिए आप इस रक्षा बंधन के इस निबन्ध के जरिये रक्षा बंधन के महत्व को जान सकते है, और रक्षा बंधन के महत्व को Raksha Bandhan Ke Upar Nibandh अच्छे तरह से समझ सकते है.
रक्षाबंधन का त्योहार – भाई बहन के प्रेम प्रतिक का पर्व राखी पर हिन्दी निबन्ध
Raksha Bandhan Tyohar – Brother Sister’s Relationship Festival Essay Nibandh in Hindi
Raksha Bandhan के त्योहार को भाई बहन का त्योहार भी कहा जाता है चूकी इस दिन हर बहन अपनी भाई के कलाई पर रक्षा बाधती है और इसलिए इसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है इस दिन भाई अपने बहन की रक्षा का प्रण तो लेते ही है साथ राखी बाधे जाने के बाद अपनी प्यारी बहनों को उपहार स्वरुप कुछ न कुछ जरुर भेट करते है जिससे बहने खुश होती है,
और फिर भाई बहन का प्यार भी इस त्यौहार के साथ बढ़ जाता है क्यूकी इस दिन भाई चाहे कितनी दूर ही क्यू न हो अपने अपने बहन के पास राखी बधवाने जरुर आता है और अगर भाई नही आ पाता है तो बहने भी अपनी भाई के पास राखी बाधने जाती है जिससे इस त्योहार की महत्ता और बढ जाती है.
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है
Raksha Bandhan Kyo Manaya Jata hai
हर त्योहारों को मनाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक, ऐतिहासिक या पौराणिक कारण जरूर होते है ठीक वैसे ही रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई कहानिया प्रचलित है और कई सारे मान्यताये है आइये जानते है Raksha Bandhan क्यू मनाया जाता है.
रक्षाबंधन मनाने के ऐतिहासिक महत्व एंव कारण
अक्सर जब प्राचीन काल में जब रण सेनाये अपने दुश्मन का मुकाबला करने जाते थे तो उस राज्य की स्त्रिया अपने सैनिको का हौसला बढ़ाने के लिए सैनिको के माथे चन्दन टिका कुमकुम लगाकर उन्हें सुशोभित करती थी और हाथ रक्षा सूत्र बाधकर राज्य और आन बान शान की रक्षा का वचन लेती थी और यही रक्षा सूत्र के साथ उन्हें विश्वास होता था की उनके सैनिक विजय होकर वापस आयेगे जिस कारण इस त्योहार का परम्परा का प्रचलन हुआ.
इतिहासकारों के अनुसार मेवाड़ पर जब अचानक से बहादुरशाह ने हमला कर दिया तो वहा की रानी कर्मावती इतनी विशाल सेना से लड़ने में असमर्थ थी तो अपनी राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायु को रक्षा सूत्र भेजा और पत्र लिखकर भेजा जिसमे लिखा गया था “एक बहन की आन बान शान पर दुश्मनों ने हमला कर दिया है हम अपने आप को आपका मुहबोली बहन मानते है इसलिए आप यह रक्षासूत्र स्वीकार कीजिये और एक भाई होने के नाते हमारे राज्य की रक्षा कीजिये”.
यह पत्र पाते ही हुमायु ने मेवाड़ की रक्षा के लिए अपनी विशाल सेना भेज दिया और इस प्रकार हुमायु बहादुरशाह से लड़ते हुए रानी कर्मावती और उनके राज्य की रक्षा किया जिसके चलते आगे चलकर यह बहन की रक्षा के लिए भाई बहन के प्रेम के प्रतिक को इसे त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा.
एक प्रंसंग के अनुसार जब सिकन्दर विश्व विजयी की कामना को लेकर निकला था तो उसे भारत की सीमाओ पर राजा पुरु से सामना करना पड़ा पहली बार किसी राजा ने सिकन्दर को इतनी बड़ी टक्कर दी थी लेकिन सिकन्दर की पत्नी राजा पुरु के पौरस को देखते ही डर गयी थी जिसके कारण वह अपने पति सिकन्दर के प्राणों की रक्षा के लिए राजा पुरु के पास राखी भिजवाया था,
जब राजा पुरु सिकन्दर से युद्ध करते हुए बंदी बना लिए गये थे तब सिकन्दर ने राजा पुरु को मौत की सजा सुना दिया लेकिन सिकन्दर की पत्नी के बताया की वह राजा पुरु को आपके प्राणों की रक्षा के लिए भाई बना लिया है तब सिकन्दर ने राजा पुरु को ससम्मान मुक्त कर दिया और वही से वह उस राज्य को छोडकर वापस लौट गया.
रक्षाबंधन मनाने के पौराणिक महत्व एंव कारण
राखी का त्योहार कब से शुरू हुआ है इसका कोई लिखित प्रमाण नही है लेकिन इस त्योहार का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथो में भी मिलता है राजा बली जब अपने सभी यज्ञो को पूरा कर लिया तो अपने तपस्या के दम पर स्वर्ग का राज्य भी पाना चाहा तब देवताओ के राजा इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना किये तब भगवान ने वामन अवतार लेकर राजा बली से तीनो लोक मांग लिए इस प्रकार बली ने भी वामन को अपने साथ रहने का वचन ले लिया था,
जिसके कारण वामन भगवान के रूप में विष्णु जी और राजा बली पाताल लोक चले गये जिससे परेशान होकर लक्ष्मी जी बहत चिंतित हुई फिर राजा बली के पास जाकर उन्हें अपना भाई मानकर राखी बाधा और बदले में भगवान विष्णु को मांग लिया तभी से माता लक्ष्मी और राजा बली के इस कथा के चलते राखी के त्योहार का प्रचलन माना जाने लगा.
रक्षाबंधन मनाने के धार्मिक महत्व एंव कारण
यू तो रक्षाबंधन मनाने के पीछे हर जगह कोई न कोई कारण जरुर मिलता है इसी प्रकार धर्म ग्रंथो के अनुसार महाभारत काल में पांड्वो की पत्नी द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना भाई मानती थी जिसके कारण एक पुकार पर ही भगवान चीरहरण के दौरान द्रौपदी की साड़ी बढ़ाना शुरू करते है जिसके कारण दुशासन तो थक जाता है लेकिन द्रौपदी की साड़ी का अंत नही होता है इस प्रकार भगवान भी अपने बहन की पुकार पर रक्षा के लिए दौड़े चले आते है.
और इस प्रकार महाभारत युद्ध के दौरान जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का अपने सुदर्शन चक्र से वध करते है तो उनकी ऊँगली में चोट आ जाती है और फिर तुरंत द्रौपदी ने अपनी साड़ी तुरंत फाडकर श्रीकृष्ण के उंगलियों में बाध देती है चूकी यह घटना भी श्रावण महीने के पूर्णिमा के दिन ही हुआ था जिसके कारण आगे चलकर हर बहन अपने भाई के कलाई पर इस दिन रक्षा बाधने लगी और इस प्रकार इस त्योहार को मनाने की परम्परा की शुरुआत हुई.
आज के समय में रक्षाबंधन का महत्व
Raksha Bandhan Ka Mahatva
प्राचीन काल में जिस प्रकार सभी बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाधकर अपने राज्य की सुरक्षा का वचन लेती थी ठीक उसी प्रकार आज के ज़माने में भी हमारे देश ने सैनिक भाइयो के कलाई पर हिन्द की बहने राखी बाधती है और अपने दुश्मनों से देश की रक्षा का वचन लेती है भले ही वक्त बदलता जा रहा है लेकिन इस त्योहार का महत्व दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है.
आज के ज़माने के भ्रूण हत्या, नारी के साथ गलत कृत्य, घिनौने अपराध, दहेज़ प्रथा जैसी अनेक सामाजिक बुराईया का अंत भी इस त्योहार के माध्यम से किया जा सकता है यदि सभी जितना अपने बहनों को लोग मानते है उसी प्रकार अगर लोग दुसरो की बहनों को इज्जत और सम्मान देना सीख जाए तो निश्चित ही इस समाज से अनेक बुराईया खत्म की जा सकती है.
ऐसे में आज के ज़माने में लोगो को शिक्षित करना बहुत जरुरी है तभी हर भाई अपने बहन की रक्षा कर सकता है और इस त्योहार की परम्परा को कायम रख सकता है.
शायद किसी ने ठीक ही कहा –
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है
How to Celebrate Raksha Bandhan Festival in Hindi
चूकी Raksha Bandhan का त्यौहार सावन महीने के आखिरी पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन सभी बहने अपने भाई के कलाई पर राखी बाधती है तो इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद नये वस्त्र और कपड़े पहनती है फिर भगवान का पूजा अर्चना करती है इसके बाद राखी बाधने के लिए राखी, रोली, चावल, अक्षत, तिलक और मिठाई को एक थाली में सजाती है.
और फिर भाई के तैयार होने के बाद भाई को पूर्व दिशा में मुह करके बिठाती है फिर उन्हें अक्षत, चन्दन, रोली और चावल से माथे पर तिलक लगाती है फिर उनका आरती उतारती है इसके बाद दाहिने हाथ में उनकी कलाईयों पर अपने मनपसन्द राखियाँ बाधती है और फिर उन्हें मिठाई खिलाती है और पानी पिलाती है.
इस प्रकार राखी बाधने के दौरान भाई बहन के इस प्रेम को देखने लायक होता है ऐसे में हर भाई का भी फर्ज बनता है की वो अपनी प्यारी बहना को उपहार स्वरुप कुछ न कुछ जरुर दे, क्यूकी यहाँ पर उपहार का कोई मोल नही होता है लेकिन बहने उपहार पाकर बहुत ही खुश होती है और इस प्रकार भाई बहन के आपसी प्रेम और बढ़ता है और इस प्रकार हर बहन अपने भाईयो के लम्बे जीवन की प्रार्थना करती है और भाईयो का भी फर्ज बनता है आने वाले हर दुखो से अपनी बहन का रक्षा करे.
इस तरह रक्षाबंधन | Raksha Bandhan समाज में आपसी भाईचारा बढ़ाने वाला त्योहार है रक्षाबंधन | Raksha Bandhan के माध्यम से परिवार के प्रेम को बढ़ावा भी मिलता है इस दिन विवाहित बहने तो अपने मायके सिर्फ भाई के राखी बाधने के लिए जरुर आती है और जो बहने दूर होती है वे या तो राखी किसी से भिजवा देती है नही तो वे कूरियर से भी राखी भेजती है,
और इस प्रकार भाई बहन के इस पवित्र प्रेम के त्योहार को देखने लायक होता है जिसमे भारतीय पुरातन की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिलती है इस प्रकार इस त्योहार के माध्यम से आपसी कटुता को भी आसानी से दूर किया जाता है.
एक बार फिर से आप सभी को रक्षाबंधन की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाये
Happy Raksha Bandhan
तो भाई बहन के इस प्रेम प्रतिक त्योहार रक्षाबंधन पर लिखा गया लेख Raksha Bandhan Essay Details in Hindi कैसा लगा प्लीज कमेंट बॉक्स में जरुर बताये.