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जैसी करनी वैसी भरनी लघु कथा

Jaisi Karni Waisi Bharni Par Laghu Katha

जैसी करनी वैसी भरनी लघु कथा 

इन्सान जैसा कर्म करता है, उसके कर्मो के अनुसार ठीक वैसे ही फल भी भोगना पड़ता है, आज इस पोस्ट में जैसी करनी वैसी भरनी वाली सोच पर एक हिन्दी कहानी बताने जा रहे है, जिनसे प्रेरणा लेकर अच्छे कर्म करने को लोग प्रेरित हो सकते है. तो चलिए जैसी करनी वैसी भरनी वाली इस कहानी को जानते है.

जैसी करनी वैसी भरनी कहानी

Jaisi Karni Waisi Bharni Hindi Kahani

एक पंडित जी थे जो की बहुत ही धार्मिक प्रवित्ति के थे और वे शहर के मंदिर में रहा करते थे वे अक्सर लोगो को ज्ञान की बाते बताया करते थे और जो भी मन्दिर आता पंडितजी उसे जरुर कहते है जो जैसा बोयेगा वो वैसा ही काटेगा सबको अपने कर्मो का फल यही भोगना पड़ता है जिसके कारण वहां के लोगो को पंडितजी पर बहुत विश्वास था और सभी लोग पंडितजी के बहुत आदर करते थे जिसके कारण पंडितजी के ज्ञान की प्रषिद्धि दूर दूर तक फ़ैल गयी थी,

jaisi karni waisi bharniपंडितजी के ज्ञान की बाते दूर रहने वाले एक गाव में तीन चोरो को भी पता चला तो वे तीनो चोर पंडितजी के बातो से सहमत नही थे उन चोरो ने मन बनाया की क्यू न पंडितजी से मिला जाय और उनकी बातो को झूठा सिद्ध किया जाय,

ऐसा सोचकर वे तीनो चोर भेष बदलकर उस मन्दिर में पहुच गये जहा पर उन चोरो ने पंडितजी को देखा तो उन चोरो ने पंडितजी को प्रणाम करके उनसे ज्ञान की बाते बताने को कहा तो हर बार की तरह पंडितजी ने बताया की जो जैसा करेगा वो वैसा भरेगा अर्थात जिसकी जैसी करनी होगी उसकी वैसे भरनी होगी तो यह बात सुनकर तीनो चोर एक बार फिर से पंडितजी से असहमत हो गये और उन चोरो ने कहा की ये कैसे हो सकता है की जो जैसा करता है उसे वैसा भरना पड़ता है क्यूकी इस समाज में अनेक ऐसे लोग भी है लोगो का मुफ्त के धन पर ऐश कर रहे है फिर उन्हें तो कोई कष्ट नही हुआ और ऐसे लोग तो मजे से अपनी जिदगी जी रहे है.

लेकिन पंडितजी अपने बातो पर अडिग रहे और बोले आप लोग अगर मेरे साथ कुछ दिन साथ में रहोगे तो इस बात को सिद्ध कर दूंगा तो तीनो चोर हसीख़ुशी पंडितजी के साथ कुछ दिनों के लिए रहने को तैयार हो गये.

तो इसके बाद पंडितजी ने मन्दिर के पीछे खाली पड़े खेत को तीन हिस्सों में बाट दिया और बोला आज से आपलोग इस खेतो में खेती करेगे और जैसा मै कहूँगा वैसा ही आप लोग करना तो तीनो चोरो ने हामी भर दी.

इसके बाद पंडितजी ने तीनो चोरो को खेती करने के सारे नियम उन चोरो को बता दिए फिर इसके बाद वे तीनो चोर अपने खेतो में खेती करने जुट गये.

एक चोर अपने खेतो में खूब मेहनत करता और कोई समस्या होती तो पंडितजी से सहायता लेता और इस प्रकार वह एक अच्छे किसान की तरह अपने खेतो में खूब अच्छी फसल लगा दिया.

इसी तरह दूसरा चोर भी अपने खेतो में थोडा कम मेहनत करता था और किसी तरह उसने भी अपने खेतो में फसल लगा दिया जबकि तीसरा चोर तो अपने खेतो में थोडा सा भी मेहनत नही करता था और सब खेतो में थोड़े से मेहनत करके किसी तरह बीज को बो दिया.

और कुछ महीनो पश्चात जब तीनो चोरो की फसल तैयार होने का समय आ गया पंडितजी बोले चलो अब मै आप लोगो के फसल को देखूगा की किसकी फसल कैसी हुई है.

इसके बाद पंडितजी जब खेत पर पहुचे तो देखा की पहले वाले चोर की फसल काफी अच्छी लगी है जबकि दुसरे वाले चोर की फसल थोडा कम लगी है और तीसरे वाले चोर के खेत में नाम मात्र के खेत में कही कही फसल लगे हुए है.

जिसको देखकर पंडितजी ने उन तीनो चोरो से कहा देखो जो जैसा किया है उसकी वैसी फसल लगी हुई है अर्थात जिसने अपने खेत में जितना अच्छा काम किया है उसकी फसल सबसे अच्छी लगी हुई है इस प्रकार आप तीनो लोग समझ सकते हो की जो जैसा और जितना मेहनत करेगा उसे वैसा ही उतना अपने मेहनत का फल यानि उसकी फसल तैयार होगी यानि अब आप लोगो ने जैसा बोया है वैसा ही अब आप लोग अपना फसल काट सकते हो.

पंडितजी की ये बाते सुनकर उन दोनों चोरो को समझ में आ गया की पंडितजी सही कह रहे है जबकि तीसरा वाला चोर बोल पड़ा की पंडितजी आप ही बताईये की खेती करना मुझे नही आता है इसलिए मेरी फसल अच्छी नही हुई होगी लेकिन पहले मै चोर था खूब चोरी किया और हमेसा खुशहाल रहा कभी मुझे अपने गलत कामो के लिये कोई सजा नही मिली.

तो पंडितजी ने उसे समझाते हुए कहा की हो सकता है तुम्हे अभी तक अपनी गलतियों की सजा न मिली हो लेकिन इस बात को भी मत भूलना चाहिए की जब यदि कभी तुम पकड़े जाते तो हर बार की गलती की सजा एक ही बार में मिल जाती तो तुम क्या कर सकते हो.

इन्सान अपनी गलत कामो की वजह से बार बार बाख सकता है लेकिन जब उसके बुरे दिन आयेगे तो फिर कोई बचाने वाला नही मिलेगा.

पंडितजी की ये बाते सुनकर उस चोर की आखे खुल गयी और तुरंत पंडितजी के पैरो में गिर पड़ा और अपनी गलती मान ली इसके बाद तीनो चोरो ने चोरी छोड़ देने के साथ ही पंडितजी के साथ रहने को तैयार हो गये और फिर वे पंडितजी के सच्चे सेवक बन गये.

सीख –

तो देखा दोस्तों उन चोरो की तरह हमे भी अपने जीवन में ये कभी कभी महसूस होता है की हम जो करते है वो हमेसा सही होता है और हमे लगने लगता है हम सभी चीजे सही कर रहे है इसलिए हमारा कोई कुछ नही बिगाड सकता है.

लेकिन ऐसा करते हुए हम ये भूल जाते है की यदि हम यदि गलत रास्ते पर चल रहे है तो हमे इसकी सजा नही मिलेगी क्यूकी हो सकता है उस समय परिस्थितिया हमारे अनुकूल रही हो इसलिए हम बच जाते है लेकिन हमे इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए हर दिन हर समय परिस्थितिया हमारे अनुकूल नही रह सकती है ऐसे स्थिति में हमे अपनी की गयी गलतियों की सजा मिल सकती है.

इसलिए परिस्थितिया चाहे कैसी भी क्यू न हो हमे कभी भी गलत मार्ग का सहारा नही लेनी चाहिए क्यू की ऐसा करने से हम एक बार दोबार बच सकते है लेकिन बार बार नही बच सकते है इसलिए हमे कभी भी गलत मार्ग का अनुसरण कभी नही करना चाहिए,.

इसलिए जैसा की कहा भी गया है – जैसी करनी वैसी भरनी

तो आप सबको ये अच्छी हिंदी कहानी कैसा लगा प्लीज हमे जरुर बताईयेगा और इस कहानी को शेयर भी जरुर करे.

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