गणेश चतुर्थी के वंदना श्लोक और मंत्र

गणेश चतुर्थी भगवन गणेश के जनमोत्स्व का त्यौहार है, 

जो की हिंदी कैलेंडर के भाद्प्रद महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी दिन से मनाया जाता है  

जिसे गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है 

और यह त्यौहार चतुर्थी से शुरू होकर अगले 10 दिन यानी चतुर्दशी तक मनाया जाता है 

जिसे अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है। 

तो आईये इस गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर के लिए गणेश चतुर्थी के श्लोकऔर मंत्र आप लोगो के लिए शेयर कर रहे है, 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ 

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं। विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं। भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥

केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं। सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥

अभिप्रेतार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यः सुरासुरैः । सर्वविघ्नच्छिदे तस्मै गणाधिपतये नमः ॥

यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोः यतः सम्पदो भक्तसन्तोषिकाः स्युः । यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिः सदा तं गणेशं नमामो भजामः

मूषिकवाहन् मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बित सूत्र । वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते ॥

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् । प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥