Mangal Pandey Biography in Hindi
मंगल पांडे का जीवन परिचय
आजादी एक ऐसी चाहत है जो हर कोई अपने देश में देखना चाहता है और बात जब भारत देश के गुलामी से आजादी की बात होती है तो सबसे पहले आजादी के परवानो में क्रन्तिकारी मंगल पाण्डेय | Mangal Pandey का नाम आता है जिनके एक साहसिक कदम से भारत देश को आजादी की तरफ रुख मोड़ दिया, जिनके कारण मंगल पाण्डेय | Mangal Pande को भारत देश के प्रथम स्वन्त्रन्ता संग्राम | First Freedom Fighter का “प्रथम स्वंत्रता संग्राम सेनानी” कहा जाता है. तो चलिए मंगल पाण्डेय की जीवनी को जानते है.
मंगल पाण्डेय का जीवन परिचय
Mangal Pandey Biography in Hindi
मंगल पाण्डेय | Mangal Pandey को भारतीय स्वंत्रता संग्राम का प्रथम सेनानी कहा जाता है तो आईये जानते है मंगल पाण्डेय के जीवन से जुड़े कुछ इन महत्वपूर्ण पहलुओ को..
नाम – मंगल पाण्डेय | Mangal Pandey
जन्म तिथि – 19 जुलाई 1827
जन्मस्थान – नगवां गाँव बलिया जिला उत्तर प्रदेश भारत
पिता – दिवाकर पाण्डेय | Divakar Pandey
माता – अभैरानी पाण्डेय | Abhairani Pandey
व्यवसाय – भारतीय सेना के सिपाही
प्रसिद्धि – प्रथम भारतीय स्वंत्रता सेनानी | First Freedom Fighter
मृत्यु – 8 अप्रैल 1857
मंगल पाण्डेय | Mangal Pandey का भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले के नगवा गाँव में 18 जुलाई 1827 को हुआ था इनके पिता दिवाकर पाण्डेय जो की एक किसान थे और माता का नाम अभैरानी था, चुकी मंगल पाण्डेय | Mangal Pandey का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था तो इनके मस्तिक पर हिन्दू धर्म का अच्छा खासा प्रभाव था जिसके कारण मंगल पाण्डेय हिन्दू धर्म को सर्वश्रेष्ठ धर्म मानते थे
इनके पिता जो की किसानी का कार्य लेकिन प्रतिवर्ष बाढ़ के चलते खेती में नुकसान उठाना पड़ता था जिसके चलते मंगल पाण्डेय | Mangal Pandey ने अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए 22 साल की उम्र में ब्रिटिश भारतीय आर्मी ज्वाइन कर लिया था.
1857 का प्रथम स्वंत्रता संग्राम और मंगल पाण्डेय
Mangal Pandey and First Freedom Fighter of India
ये बात 31 जनवरी 1857 की है मंगल पाण्डेय अपने साथी सैनिको के साथ बैरक की सुरक्षा में लगे थे की उसी समय एक रामटहल नाम का एक जमादार जो की भंगी जाति से था वहां से गुजरा तो उसे प्यास लगने के कारण मंगल पाण्डेय से बोला – पंडित जी मुझे प्यास बहुत जोरो से लगी है कृपया मुझे अपने लोटे से एक लोटा पानी पीने को दे दीजिये”
चुकी उस ज़माने में जाति भेदभाव और छुवाछुत की भावना चरम अवस्था पर थी जिसके प्रभाव से मंगल पाण्डेय भी अछूते नही थे उन्होंने उस भंगी को साफ़ मना करते हुए कहा की “ तुम भंगी जाति से हो तुम्हे मै अपने लोटे का पानी नही पिला सकता”
यह बात सुनकर वह भंगी मंगल पाण्डेय से बोला – “पंडित जी आपको अगर अपनी जाति पर इतना ही गुमान है तो फिर गाय के चर्बी के लगे रायफल और कारतूस का क्यू प्रयोग करते हो, क्या इससे आपका धर्म भ्रष्ट नही होता है”
यह बात सुनकर मानो मंगल पाण्डेय की पैरो तले जमीन खिसक गयी थी, क्यूकी उस ज़माने में पहली बात भारत में बंदूक चलाने वाले रायफल का आविष्कार हुआ था जिसके कारतूसो पर गाय और सुवर के मांस के चर्बी का उपयोग होता है जिसे दातो से खीचकर तब चलाना पड़ता था और वह भंगी उसी फैक्ट्री में काम करता था जहा इन कारतूसो और रायफल का निर्माण होता था.
अब तो मानो मंगल पाण्डेय को पहली बार अंग्रेजो द्वारा चला धर्मभ्रष्ट करने की बात पता चल गया था और मन ही मन मंगल पाण्डेय अंग्रेजो के प्रति गुस्सा अपने चरम अवस्था पर था इसके बाद मंगल पाण्डेय ने यह बात अपने सभी साथियों को बताई तो सबने मिलकर अंग्रेजो का खुलकर विद्रोह करने का निश्चय किया.
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और फिर आखिरकार 29 मार्च 1857 को पहली बार मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फुक दिया और अपने साथियों के साथ अंग्रेजो की छावनी को चारो तरफ से घेर लिया जिसे देखकर वहा के अंग्रेज अफसर जनरल ह्युसन ने मंगल पाण्डेय को गिरफ्तार करने का आदेश दिया लेकिन मंगल पाण्डेय | Mangal Pandey के साथी सिपाहियों ने मंगल पाण्डेय को पकड़ने से साफ़ मना कर दिया जिसके बाद वहा अंग्रेज लेफिनेंट बाफ घोड़े पर सवार होकर मंगल पाण्डेय को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा लेकिन निर्भीक मंगल पाण्डेय ने बिना डरे बाफ के उपर गोली चला दिया जो शायद यही भारतीय आजादी के इतिहास के पहली विद्रोह की गोली थी जिसे सोचने पर अंग्रेज पूरी तरह मजबूर हो गये.
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इसके बाद मंगल पाण्डेय ने बिना डरे धुआधार बाफ के उपर फायर कर दिया जिसके कारण बाफ वही अपने घोड़े से गिरकर मौत को प्राप्त हो गया इसके बाद तो मानो मंगल पाण्डेय की गोलिया एक एक करके अपना शिकार करने लगी जिसका अगला शिकार ह्युसन बना, मंगल पाण्डेय के सारे सिपाही दोस्त इस घटना को मूकदर्शक बनकर देख रहे थे,
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तभी इस घटना की सुचना वहा पास में मौजूद जनरल हियर्शी को मिला तो बिना वक्त गवाए दौड़ते हुए घटनास्थल पर पंहुचा वह तुरंत मंगल पाण्डेय को गिरफ्तार करने का आदेश दिया लेकिन कोई भी सैनिक मंगल पाण्डेय के विरुद्ध नही खड़ा था लेकिन घायल अवस्था में चारो तरफ से घिर जाने के बाद वहा मौजूद शेख पल्टू नाम का एक मुस्लिम सैनिक ने मंगल पाण्डेय को पीछे से पकड़ लिया और फिर इसके बाद सभी अंग्रेज सिपाही मंगल पाण्डेय पर हावी होने लगे जिसके बाद तो मंगल पाण्डेय ने खुद को गोली से उड़ाने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहे और फिर अंग्रेजो द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
इसके बाद अंग्रेजो के अदालत में मंगल पाण्डेय के खिलाफ मुकदमा चलाया गया और अंग्रेज सिपाहियों की हत्या और विद्रोह के जुर्म के बदले उन्हें फ़ासी की सजा सुनाई गयी जिसकी तय तारीख 18 अप्रैल 1857 को हुआ लेकिन तब तक मंगल पाण्डेय के इस विद्रोह की आग पूरे देश में फ़ैल चूकी थी यहाँ तक फ़ासी चढाने वाले जल्लाद ने भी मंगल पाण्डेय को फ़ासी देने से साफ़ मना कर दिया.
तब अंग्रेजो ने इस विद्रोह की आग को दबाने के लिए चुपके से 10 दिन पहले यानी 08 अप्रैल 1857 को फ़ासी पर लटका दिया गया.
भले ही अंग्रेज मंगल पाण्डेय को फासी पर लटका दिए लेकिन उनकी इस शहादत ने पूरे देश में आजादी की क्रांति की ज्वाला भड़का चूकी थी हर तरफ आजादी पाने के लिए विद्रोह होने शुरू हो गये थे जिस कारण भारत के इतिहास में मंगल पाण्डेय को आजादी के पहले “शहीद” के रूप में विख्यात हुए.
भले ही आज के समय में मंगल पाण्डेय हम सभी के बीच में नही है लेकिन उनकी आजादी की एक अलख हम सभी को अपने देश पर गौरवान्वित करने का अनुभव प्राप्त होता है
धन्य है ऐसी भारतभूमि जहा पर ऐसे वीर लाल पैदा होते है जो अपने जान की परवाह किये बिना देश पर मर मिटने के लिए हमेसा तैयार होते है.
ऐसे भारत के वीर शहीद मंगल पाण्डेय को हमारा सलाम और कोटि कोटि प्रणाम
“लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से”
जय हिन्द जय भारत
मंगल पाण्डेय की जीवनी हम सभी भारतीयों को अपने देशभक्ति की इतनी प्रबल भावना जगाती है की इनकी जीवन पर आधारित कई फिल्मे भी बन चुकी है जो इनके वीर, साहस और शौर्य के ताकत का अहसास कराती है.
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