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सच्ची दोस्ती की पौराणिक कहानियाँ और रोमांचक किस्से

True Friendship Story in Hindi

सच्ची दोस्ती की पौराणिक कहानिया

True Friendship Story in Hindi दोस्ती इस दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता होता है, ये दोस्ती का रिश्ता तो इंसानियत से होता है, जो एकबार इस दोस्ती के रिश्ते में बध जाते है, तो जीवन में दोस्ती के लिए एक हो जाते है, तो आज इस पोस्ट में हम सच्ची दोस्ती की कुछ ऐसी ही कहानिया लेकर आये है, जो ये सच्ची दोस्ती की कहानी (True Friendship Story in Hindi) हम सभी के लिए प्रेरणा देती है. 

जैसा की हम सभी जानते है, की मित्रता यानि दोस्ती एक ऐसा रिश्ता हो जो जब लोगो के बीच जुड़ता है तो फिर तो फिर एक दुसरे के सुख दुःख सब एक समान हो जाते है और यही मित्रता लोगो के लिए एक मिशाल बन जाती है, वैसे तो दुनिया में अनेको प्रकार के रिश्तो में हम एक दुसरे से बधे हुए है लेकिन इन रिश्तो में कही न कही खून का रिश्ता जरुर होता है.

लेकिन दोस्ती या मित्रता एक ऐसा रिश्ता है जो बिना किसी खून के रिश्ते का होता है लेकिन जब दो लोगो के बीच अगर सच्ची दोस्ती हो तो फिर यही दोस्ती अपनों से ज्यादा भरोशेमंद हो जाती है.

Sachhi Dosti True Friendship Hindi Stories

तो आज हम ऐसी ही दोस्ती की कहानी बतायेगे जो एक लोगो के लिए मिशाल बन गया.

सच्ची मित्रता पर कहानी Short Story

Sachhi Dosti True Friendship Hindi Stories

श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता की कहानी

Friendship of Lord Ram and Sugriva 

वैसे तो भारतीय इतिहास अनेको महापुरुषों के महान गाथाओ से भरा पड़ा है इनमे मर्यादा पुरुषोत्तम राम और सुग्रीव की मित्रता आज भी लोगो के बीच याद किया जाता है रामचन्द्रजी जो अपनी पत्नी सीताजी की खोज में सुग्रीव से मिले तो यही उनकी मुलाकात हुई फिर आपस में मित्रता की डोर में बध गये और जीवन भर दोनों ने एक दुसरे का साथ निभाया और एक दुसरे के सुखदुःख के साथी बने.

यानी इनकी दोस्ती से यही पता चलता है की हम चाहे कितने भी बड़े क्यू न हो जाये अगर किसी से दोस्ती की जाय तो वह उचनीच अमीरी गरीबी या मानव भेदभाव नही देखा जाता है मित्र के लिए निस्वार्थ किसी भेदभाव से सिर्फ उसके हितो को सबसे उपर रखा जाता है.

सुदामा और श्रीकृष्ण की दोस्ती की कहानी

Sudama Aur Krishn ki Dosti Ki Kahani

कृष्ण और सुदामा की दोस्ती बहुत ही खास है क्यू इनकी दोस्ती हमे सिखलाती है हम चाहे कितने भी अमीर क्यू न हो जाए अगर हमने किसी को अपना दोस्त बनाया है चाहे वो दोस्त बचपन का ही क्यू न हो अगर हम समय के साथ चाहे कितने अमीर भी क्यू न हो जाए अगर हमारा मित्र हमसे थोड़े से भी कष्ट में हो तो हमे बिना समय गवाए उसके दुःख में साथ देना ही मित्रता की सच्ची साथर्कता कहलाती है.

और इनकी दोस्ती से हमें ये भी पता चलता है की हम चाहे कितने ही विकट स्थिति में क्यू न हो लेकिन हम कभी भी अपने मित्र को अपने दुखो के चलते उसे कभी कष्ट नही देना चाहेगे क्यू मित्रता में चाह की नही त्याग की भावना सर्वोपरि होती है.

दुर्योधन और कर्ण की दोस्ती

Duryodhan Karn ki Mitrata

महाभारत काल में लोग दुर्योधन को बहुत ही दुष्ट प्रवित्ति वाले इन्सान के रूप में जानते है उसके अंदर लालच की अपार भावना भरी थी लेकिन जब उसकी दोस्ती कर्ण से हुई तो वो तुरंत अपनी लालच को त्यागते हुए कर्ण को अपना एक राज्य दे दिया कर्ण जो की एक परिवार से था लेकिन उसने अपनी दोस्ती को अपनी प्राणों तक निभाया और अपनी दोस्ती की लाज रखी.

यानी इनकी दोस्ती हमे यही सिखलाती है की हमारा मित्र चाहे किस प्रवित्ति का हो अगर हमने उससे दोस्ती किया है तो उस दोस्ती को मरते दम तक निभाना ही सच्ची दोस्ती कहलाती है.

अर्जुन और श्रीकृष्ण की दोस्ती

Friendship of Arjun Krishna

अगर हमारा मित्र सच्चा पथ प्रदर्शक हो तो जिन्दगी की तमाम उलझने मित्र के बताये सही रास्ते पर चलने से खत्म हो जाती है इस दोस्ती की मिशाल अर्जुन और श्रीकृष्ण की दोस्ती से दी जाती है सबको पता था की अर्जुन महान धनुर्धारी है उसकी वीरता के आगे बड़े बड़े योद्धा परास्त हो जाते थे लेकिन अर्जुन को पता था की बिना श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन के अभाव में वह महाभारत का युद्ध कभी जीत नही सकता था इसलिए अर्जुन ने श्रीकृष्ण के विशाल सेना के बदले श्रीकृष्ण को अपने साथ युद्ध में लिया क्यू की अगर मित्र सच्चा हो और सही रास्ता दिखाने वाला हो तो बड़े बड़े से चुनौतियों का सामना बड़ी आसानी से किया जा सकता है और अर्जुन का ये निर्णय ही उसे महाभारत का विजेता बनाया.

इसलिए दोस्तों अगर हमारे अपने सच्चे मित्र हो तो हम सब अपने आप को भाग्यशाली मान सकते है क्यूकी सच्चा दोस्त कभी भी आपका अहित नही सोचता और कभी भी गलत रास्ते पर जाने नही देता है इसलिए अगर हमे सच्चे दोस्त पाना है तो फिर हमे सच्ची मित्रता निभाने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए यही एक सच्चे मित्र की पहचान होती है.

अक्सर जब अपने जीवन में खुशहाल जीवन जीते है तो हमारे अनेक मित्र बन जाते है लेकिन जब हमारे जीवन में ऊपर दुखो का पहाड़ आता है तभी हमारे इन सच्चे मित्रो की पहचान होती है जैसा की कहा भी गया है – “सुख में मित्र बनते है दुःख में इनकी पहचान होती है इसलिए हमे अपने मित्र की पहचान भी अच्छे से होने चाहिए” 

आप सबको सच्चे मित्रता की पौराणिक कथाये कैसा लगा, हमे कमेंट बॉक्स में जरुर बताये और इन कहानियो को शेयर भी जरुर करे.

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